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कविता संग्रह >> संभाल कर रखना

संभाल कर रखना

राजेन्द्र तिवारी

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2016
पृष्ठ :123
मुखपृष्ठ : ईपुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 9720

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मन को छूने वाली ग़ज़लों का संग्रह



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जब करो दिल से करो, जैसे इबादत की जाय


जब करो दिल से करो, जैसे इबादत की जाय,
यार लानत है, जो मतलब से मुहब्बत की जाय।

सोचता हूँ, कि वो नाराज़ न हो जाय कहीं,
दिल तो कहता है, कभी उससे शरारत की जाय।

जो निकलता हो ख़तावार, सज़ा उसको मिले,
मैं नहीं कहता, मेरे साथ मुरव्वत की जाय।

शेर खाँ हम ही नहीं, तुम भी सही मान लिया,
अब चलो ख़त्म, ये बरसों की अदावत की जाय।

यूँ तो दौलत भी ज़रुरी है, मगर इसके लिये,
क्या ज़रुरी है, उसूलों की तिजारत की जाय।

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Abhilash Trivedi

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