धर्म एवं दर्शन >> श्रीविष्णुसहस्रनामस्तोत्र श्रीविष्णुसहस्रनामस्तोत्रमहर्षि वेदव्यास
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महाभारत के अन्त में भीष्म द्वारा युधिष्ठिर को दिये गये परमात्म ज्ञान का सारांश भगवान विष्णु के सहस्त्र नामों में।
ऐसा माना जाता है कि भगवान विष्णु सभी ग्रहों के कारक हैं एवम् श्रीविष्णुसहस्रनामस्तोत्र के उच्चारण से सभी ग्रहदोषों का नाश होता है तथा यश, सुख, ऐश्वर्य, संपन्नता, सफलता, आरोग्य एवं सौभाग्य प्राप्त होता है तथा मनोकामनाओं की पूर्ति होती है।
श्रीविष्णुसहस्रनामस्तोत्र
ध्यान
शान्ताकारं भुजगशयनं पद्मनाभं सुरेशं
विश्वाधारं गगनसदृशं मेघवर्णं शुभाङ्गम्।
लक्ष्मीकान्तं कमलनयनं योगिभिर्ध्यानगम्यं
वन्दे विष्णुं भवभयहरं सर्वलोकैकनाथम्॥
सशंखचक्रं सकिरीटकुण्डलं
सपीतवस्त्रं सरसीरुहेक्षणम्।
सहारवक्षस्थलकौस्तुभश्रियं
नमामि विष्णुं शिरसा चतुर्भुजम्॥
शान्ताकारं भुजगशयनं पद्मनाभं सुरेशं
विश्वाधारं गगनसदृशं मेघवर्णं शुभाङ्गम्।
लक्ष्मीकान्तं कमलनयनं योगिभिर्ध्यानगम्यं
वन्दे विष्णुं भवभयहरं सर्वलोकैकनाथम्॥
सशंखचक्रं सकिरीटकुण्डलं
सपीतवस्त्रं सरसीरुहेक्षणम्।
सहारवक्षस्थलकौस्तुभश्रियं
नमामि विष्णुं शिरसा चतुर्भुजम्॥
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