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धर्म एवं दर्शन >> श्रीहनुमानचालीसा

श्रीहनुमानचालीसा

गोस्वामी तुलसीदास

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2016
पृष्ठ :9
मुखपृष्ठ : ईपुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 9727

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हनुमान स्तुति


।।श्रीहनुमते नमः।।

श्रीहनुमान चालीसा

।। दोहा ।।

श्रीगुरु चरन सरोज रज, निज मनु मुकुरु सुधारि ।
बरनउँ रघुबर विमल जसु, जो दायकु फल चारि ।।
बुद्घिहीन तनु जानिकै, सुमिरौं पवन-कुमार ।
बल बुद्घि विद्या देहु मोहिं, हरहु कलेस विकार ।।

।।चौपाई।।

जय हनुमान ज्ञान गुन सागर ।
जय कपीस तिहुँ लोक उजागर ।।1।।

रामदूत अतुलित बल धामा ।

अंजनि-पुत्र पवनसुत नामा ।।2।।

महावीर बिक्रम बजरंगी ।।1।।

कुमति निवार सुमति के संगी ।।3।।

कंचन बरन बिराज सुबेसा ।।1।।

कानन कुण्डल कुंचित केसा ।।4।।

हाथ बज्र औ ध्वजा विराजै ।।1।।

काँधे मूँज जनेऊ साजै ।।5।।

संकर सुवन केसरी नन्दन ।

तेज प्रताप महा जगबन्दन ।।6।।

विद्यावान गुनी अति चातुर ।

राम काज करिबे को आतुर ।।7।।

प्रभु चरित्र सुनिबे को रसिया ।

राम लखन सीता मन बसिया ।।8।।

सूक्ष्म रूप धरि सियहिं दिखावा ।

बिकट रूप धरि लंक जरावा ।।9।।

भीम रूप धरि असुर संहारे ।

रामचन्द्र के काज संवारे ।।10।।

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