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वीर बालिकाएँ

हनुमानप्रसाद पोद्दार

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2016
पृष्ठ :70
मुखपृष्ठ : ईपुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 9732

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साहसी बालिकाओँ की प्रेरणात्मक कथाएँ

नवाब का महल बहुत ऊँचाई पर था। मानबा की पालकी को सीढ़ियों के नीचे लाकर रखा गया। मानबा पालकी से निकली और सीढ़ियों पर चढ़ने लगी। उसके दोनों ओर बादियाँ चल रही थीं। मानबा सीढ़ियाँ चढ़ रही थी और अपने धर्म की रक्षा का उपाय सोच रही थी। ऊपर नवाब उसका स्वागत करने बड़ी उत्सुकता से खड़ा था।

मानबा सीढियाँ चढती गयी, चढ़ती गयी और ऊपर पहुँचकर एकदम लौट पड़ी। घूमकर उसने अपने शरीर को सीढ़ियों पर फेंक दिया। उसका देह लुढ़कता-लुढ़कता तेजी से नीचे चल पड़ा। शहनाई बंद हो गयी। बादियाँ भौंचक्की रह गयीं। नवाब पागल की भाँति सीढियों पर से दौड़ता हुआ उतरने लगा मानबा को पकडने के लिये।

उससे पहले ही वह स्वर्ग चली गयी थी। नवाब तनिक ही पीछे सीढ़ियों पर से दौड़ता वहाँ आ गया, लेकिन अब उसकी भी हिम्मत नहीं थी कि उस पवित्र बालिका की देह को चिता पर जाने से रोक देता।

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