कहानी संग्रह >> प्रेमचन्द की कहानियाँ 20 प्रेमचन्द की कहानियाँ 20प्रेमचंद
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प्रेमचन्द की सदाबहार कहानियाँ का बीसवाँ भाग
गाड़ी में तूफान आ गया। चारों ओर से मुझ पर बौछार पड़ने लगीं।
'अगर इतने नाजुक-मिजाज हो, तो अव्वल दर्जे में क्यों नहीं बैठे।'
'कोई बड़ा आदमी होगा, तो अपने घर का होगा। मुझे इस तरह मारते, तो दिखा देता।'
'क्या कसूर किया था बेचारे ने! गाड़ी में साँस लेने की जगह नहीं, खिड़की पर ज़रा साँस लेने खड़ा हो गया तो उस पर इतना क्रोध। अमीर हो कर क्या आदमी अपनी इन्सानियत बिल्कुल खो देता है?'
'यह भी अँगरेजी राज है, जिसका आप बख़ान कर रहे थे।'
एक ग्रामीण बोला- दफ्तरन माँ घुस पावत नहीं, उस पै इत्ता मिजाज !
ईश्वरी ने अँगरेजी में कहा- What an idiot you are, Sir ! और मेरा नशा अब कुछ-कुछ उतरता हुआ मालूम होता था।
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