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जीवनी/आत्मकथा >> सत्य के प्रयोग

सत्य के प्रयोग

महात्मा गाँधी

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2017
पृष्ठ :716
मुखपृष्ठ : ई-पुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 9824

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महात्मा गाँधी की आत्मकथा

कसौटी पर चढ़े


आश्रम को कायम हुए अभी कुछ ही महीने बीते थे कि इतने में जैसी कसौटी की मुझे आशा नहीं थी वैसी कसौटी हमारी हुई। भाई अमृतलाल ठक्कर का पत्र मिला, 'एक गरीब और प्रामाणिक अंत्यज परिवार है। वह आपके आश्रम में रहना चाहता है। क्यों उसे भरती करेंगे?'

मैं चौका। ठक्करबापा जैसे पुरुष की सिफारीश लेकर कोई अंत्यज परिवार इतनी जल्दी आयेगा, इसकी मुझे जरा भी आशा न थी। मैंने साथियो को वह पत्र पढने के लिए दिया। उन्होंने उसका स्वागत किया। भाई अमृतलाल ठक्कर को लिखा गया कि यदि वह परिवार आश्रम के नियमों का पालन करने को तैयार हो तो हम उसे भरती करने के लिए तैयार है।

दूदाभाई, उनकी पत्नी दानीबहन और दूध-पीती तथा घुटनो चलती बच्ची लक्ष्मी तीनों आये। दूदाभाई बंबई में शिक्षक का काम करते थे। नियमों का पालन करने को वे तैयार थे उन्हें आश्रम में रख लिया।

सहायक मित्र-मंडल में खलबली मच गयी। जिस कुएँ के बगले के मालिक का हिस्सा था, उस कुएँ से पानी भरने में हमे अड़चन होने लगी। चरसवाले पर हमारे पानी के छींटे पड़ जाते, तो वह भ्रष्ट हो जाता। उसने गालियाँ देना और दूदाभाई को सताना शुरू किया। मैंने सबसे कह दिया कि गालियाँ सहते जाओ और ढृढता पूर्वक पानी भरते रहो। हमें चुपचाप गालियाँ सुनते देखकर चरसवाला शरमिन्दा हुआ और उसने गालियाँ देना बन्द कर दिया। पर पैसे की मदद बन्द हो गयी। जिन भाई ने आश्रम के नियमों का पालन करनेवाले अंत्यजो के प्रवेश के बारे में पहले से ही शंका की थी, उन्हें तो आश्रम में अंतज्य के भरती होने की आशा ही न थी। पैसे की मदद बन्द होने के साथ बहिष्कार की अफवाहें मेरे कानो तक आने लगी। मैंने साथियो से चर्चा करके तय कर रखा था, 'यदि हमारा बहिष्कार किया जाय और हमे मदद न मिले, तो भी अब हम अहमदाबाद नहीं छोड़ेगे। अंतज्यो की बस्ती में जाकर उनके साथ रहेंगे और कुछ मिलेगा उससे अथवा मजदूरी करके अपना निर्वाह करेंगे।'

आखिर मगललाल ने मुझे नोटिस दी, 'अगले महीने आश्रम का खर्च चलाने के लिए हमारे पास पैसे नहीं है। ' मैंने धीरज से जवाब दिया, 'तो हम अंत्यजो की बस्ती में रहने जायेंगे।'

मुझ पर ऐसा संकट पहली ही बार नहीं आया था। हर बार अंतिम घडी में प्रभु ने मदद भेजी है।

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