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मूछोंवाली

मधुकान्त

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2016
पृष्ठ :149
मुखपृष्ठ : ई-पुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 9835

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‘मूंछोंवाली’ में वर्तमान से दो दशक पूर्व तथा दो दशक बाद के 40 वर्ष के कालखण्ड में महिलाओं में होने वाले परिवर्तन को प्रतिबिंबित करती हैं ये लघुकथाएं।

1

बेबस

हवेली की ड्योढ़ी में भाई ने विदा करण आयी बरखा को जाते-जाते टोक दिया-’बहन तेरी या हवेली घनी बड़ी सै और इसमें सब कामों की मौज सै... पर इसमें आकै जी सा घुटै सै...।’

बाबू नै करजे, में ब्याह दी के करती... कलेजे में सांस खेंचकै...’

‘भाई तूं तो बरस-छमाही कदै-कदै आवै, मनै देख बरसों से इसी हवेली में घुटण लागरी...’ आंख से टपकते आंसू को एक ओर झिटक दिया।

‘पर भाई इबतो आदत सी बणगी...।’

‘कुछ बस नहीं चालै बहन।’

भारी मन से रामधन ने अपना पांव धेल से बाहर धकेल दिया।


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