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जीवनी/आत्मकथा >> रवि कहानी

रवि कहानी

अमिताभ चौधुरी

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2015
पृष्ठ :130
मुखपृष्ठ : ई-पुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 9841

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रवीन्द्रनाथ टैगोर की जीवनी


फ्रांस पहुंचने के महीने भर में ही पेरिस में कवि के चित्रों की नुमाइश का इंतजाम हो गया पिगाल में। इसका इंतजाम अर्जेंटीना की उसी विदुषी महिला विक्टोरिया ओकाम्पो ने किया था। खबर मिलते ही वे तुरंत पेरिस पहुंची, जहां उन्हीं की कोशिशों से नुमाइश का काम सफलता से पूरा हुआ। ओकाम्पो से रवीन्द्रनाथ की वही आखिरी भेंट थी। रवीन्द्रनाथ की जन्मशती के दौरान ब्यूनस आयर्स में बड़े धूमधाम से उनका जन्मदिन मनाया गया था। इसके अलावा वहां की एक सड़क का नाम भी उन्होंने रवीन्द्रनाथ के नाम पर रखवाया। रवीन्द्रनाथ पेरिस का काम पूरा करके इंग्लैंड चले गए। लंदन से होते हुए वे बर्मिंघम के उपनगर उडब्रुक पहुंचे। वहां के ईसाइयों के एक आश्रम में रहे।

इधर भारत में गांधी जी की अगुवाई में दूसरी बार कानून भंग आंदोलन शुरू हुआ। गांधी जी ने इस बार पूर्ण स्वराज की मांग की थी। उन्होंने दांडी मार्च करके नमक कानून तोड़ा। बंगाल के क्रांतिकारियों ने भी मास्टर सूर्य सेन की अगुवाई में चटगांव के हथियार खजाने को लूट लिया। इसके बाद ढाका में हिन्दू-मुसलमान दंगे शुरू हो गए। इंग्लैंड में रहने के दौरान रवीन्द्रनाथ के पास देश की हर खबर पहुंचती रही। गांधी जी से मतभेद होते हुए भी उन्होंने विदेशी पत्र-पत्रिकाओं में इस कानून भंग आंदोलन के प्रति अपनी पूरी सहमति जताई।

आक्सफोर्ड के ''हिबर्ट भाषण'' में कवि के भाषण का विषय था- ''द रिलीजन आप मैन'' (मनुष्य का धर्म)। भाषण के बाद डर्टिंगटन हॉल में एलमहर्स्ट के मेहमान होकर कुछ दिन रहने के बाद रवीन्द्रनाथ 12 जुलाई 1930 को जर्मनी गए। जर्मनी के पार्लियामेंट राइथस्टाग में जर्मन प्रधानमंत्री डा. ब्रुलिंग तथा अन्य सदस्यों के साथ रवीन्द्रनाथ का परिचय कराया गया। इसके बाद उन्होंने वैज्ञानिक आइंस्टाइन से भेंट की। वे उनके घर गए। भगवान के वजूद पर काफी देर तक आइंस्टाइन से रवीन्द्रनाथ की बात हुई। इस चर्चा में रवीन्द्रनाथ ने किसी वैज्ञानिक की तरह बहस की और वैज्ञानिक आइंस्टाइन ने कवि की तरह।

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