| धर्म एवं दर्शन >> रविवार व्रत कथा रविवार व्रत कथागोपाल शुक्ला
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सभी मनोकामनाओं की पूर्ति हेतु रविवार का व्रत श्रेष्ठ है
रविवार की आरती
 ॐ जय कश्यप नन्दन, ॐ जय अदिति नन्दन। 
 त्रिभुवन तिमिर निकंदन, भक्त हृदय चन्दन॥ 
 ॐ जय कश्यप नन्दन…
 
 जय सप्त अश्वरथ राजित, एक चक्रधारी। 
 दु:खहारी,   सुखकारी,    मानस   मलहारी॥ 
 ॐ जय कश्यप नन्दन…
 
 जय सुर मुनि भूसुर वन्दित, विमल विभवशाली। 
 अघ-दल-दलन  दिवाकर,  दिव्य  किरण  माली॥ 
 ॐ जय कश्यप नन्दन…
 
 जय सकल सुकर्म प्रसविता, सविता शुभकारी।
 विश्व   विलोचन    मोचन,    भव-बंधन   हारी॥ 
 ॐ जय कश्यप नन्दन…
 
 जय कमल समूह विकासक, नाशक त्रय तापा। 
 सेवत  सहज  हरत  अति,  मनसिज   संतापा॥ 
 ॐ जय कश्यप नन्दन…
 
 जय नेत्र व्याधि हर सुरवर, भू-पीड़ा हारी। 
 वृष्टि विमोचन संतत, परहित व्रतधारी॥ 
 ॐ जय कश्यप नन्दन…
 
 जय सूर्यदेव करुणाकर, अब करुणा कीजै। 
 हर  अज्ञान  मोह   सब,   तत्वज्ञान  दीजै॥ 
 ॐ जय कश्यप नन्दन…
 
  
 
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