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धर्म एवं दर्शन >> रविवार व्रत कथा

रविवार व्रत कथा

गोपाल शुक्ला

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2014
पृष्ठ :9
मुखपृष्ठ : ई-पुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 9842

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सभी मनोकामनाओं की पूर्ति हेतु रविवार का व्रत श्रेष्ठ है

रविवार की आरती


ॐ जय कश्यप नन्दन, ॐ जय अदिति नन्दन।
त्रिभुवन तिमिर निकंदन, भक्त हृदय चन्दन॥
ॐ जय कश्यप नन्दन…

जय सप्त अश्वरथ राजित, एक चक्रधारी।
दु:खहारी,   सुखकारी,    मानस   मलहारी॥
ॐ जय कश्यप नन्दन…

जय सुर मुनि भूसुर वन्दित, विमल विभवशाली।
अघ-दल-दलन  दिवाकर,  दिव्य  किरण  माली॥
ॐ जय कश्यप नन्दन…

जय सकल सुकर्म प्रसविता, सविता शुभकारी।
विश्व   विलोचन    मोचन,    भव-बंधन   हारी॥
ॐ जय कश्यप नन्दन…

जय कमल समूह विकासक, नाशक त्रय तापा।
सेवत  सहज  हरत  अति,  मनसिज   संतापा॥
ॐ जय कश्यप नन्दन…

जय नेत्र व्याधि हर सुरवर, भू-पीड़ा हारी।
वृष्टि विमोचन संतत, परहित व्रतधारी॥
ॐ जय कश्यप नन्दन…

जय सूर्यदेव करुणाकर, अब करुणा कीजै।
हर  अज्ञान  मोह   सब,   तत्वज्ञान  दीजै॥
ॐ जय कश्यप नन्दन…

* * *

 

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