लोगों की राय

व्यवहारिक मार्गदर्शिका >> संतुलित जीवन के व्यावहारिक सूत्र

संतुलित जीवन के व्यावहारिक सूत्र

श्रीराम शर्मा आचार्य

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2015
पृष्ठ :67
मुखपृष्ठ : ई-पुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 9843

Like this Hindi book 0

मन को संतुलित रखकर प्रसन्नता भरा जीवन जीने के व्यावहारिक सूत्रों को इस पुस्तक में सँजोया गया है


मनुष्यों के लिए एकाकी जीवन बहुत कठिन है। सामान्य स्तर के व्यक्ति के लिए मित्रों की आवश्यकता रहेगी। उनके बिना वह अपने मन का भार हलका न कर सकेगा। दुःख दूसरों के सहारे बिना बहुत भारी पड़ता है। मित्रता व्यक्ति-समाज की व्यवस्था एवं प्रगति के लिए एक आवश्यक तत्त्व है। एकाकीपन के कष्ट से बचने के लिए जीवन-व्यापार में सहयोग देने के लिए, सुख-दुःख में अभिन्न साथ के लिए मनुष्य को मित्रों, दोस्तों तथा साथियों की आवश्यकता रहती है। मित्रता के लिए एक महत्त्वपूर्ण गुण है - हृदय की विशालता, उदारता और महानता। इसके कारण विपत्ति और गरीबी में भी मनुष्य को मित्रों की कमी नहीं रहती। हृदय की इस विकसित अवस्था में जंगल में भी मित्र मिल जाते हैं। पशु-पक्षी भी मित्र बन जाते हैं।

प्रसिद्ध दार्शनिक सिसरो ने लिखा है - इस संसार में मित्रता से अधिक कुछ भी मूल्यवान नहीं है मनुष्य के लिए। महात्मा गाँधी के शब्दों में सच्चे मित्र मिल जाना मनुष्य के लिए दैवी वरदान है। मित्रता जितनी बहुमूल्य है, उतना ही इसे पैदा करना, स्थिर रखना, सदा-सदा कायम रखना भी कठिन है। मित्रता को स्थिर रखने के लिए एक-दूसरे के व्यक्तिगत, स्वाभाविक दोषों को गौण समझना पड़ेगा अन्यथा दोषदर्शन, आपसी छींटाकसी, आरोप-प्रत्यारोप से तो मित्रता की मूर्ति ही टूट-फूट जाएगी। मित्रता को स्थिर रखने का पूर्ण आधार है, मित्र के सद्गुणों की खोज करना, उन्हें प्रोत्साहन देना और सबसे महत्वपूर्ण आवश्यकता है, सहिष्णुता और उदारता की।

...Prev | Next...

<< पिछला पृष्ठ प्रथम पृष्ठ अगला पृष्ठ >>

अन्य पुस्तकें

लोगों की राय

No reviews for this book