शब्द का अर्थ
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अंकुर :
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पुं० [सं०√अंक+उरच्] १. गुठली, बीज आदि में से निकलने वाला नया डंठल, जिसमें छोटी-छोटी पत्तियाँ लगी होती है। २. पौंधों, वृक्षों आदि की जड़, डाल या तने में से उगनेवाला ऐसा नया पत्ता। कि प्र० आना। जमना। निकलना। फूटना। ३. फूल का आरम्भिक तथा अध खिला रूप, कली। ४. घाव भरने के समय उसमें दिखाई देने वाले माँस के छोटे-छोटे दाने जो घाव के ठीक तरह से भरे जाने के सूचक होते हैं। अंगूर। ५. आगे का नुकीला भाग, नोक। ६. ऐसे लक्षण जो किसी की भावी उन्नति, विकास आदि के सूचक होते हैं। ७. रहस्य-सम्प्रदाय में (क) अहंकार और (ख) उच्च कोटि के. ज्ञान का आरंभिक रूप। ८. खून, रक्त। ९. शरीर का रोआँ। लोम। १॰. जल, पानी। ११. बाल-बच्चे, संतान। |
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समानार्थी शब्द-
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अंकुरक :
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पुं० [सं०√अञ्च् जाना+घुरच्, अंकुर+क] पशु-पक्षियों के रहने का स्थान। |
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अंकुरण :
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पुं० [सं० अंकुर+ क्विन् + ल्युट्-अन् ?] [भू० कृ० अंकुरित] अंकुर के रूप में आने की क्रिया या भाव। बोये हुए बीज आदि का अँकुरित होना। (जरमिनेशन) |
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अँकुरना :
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अं० [सं० अंकुर] अंकुर निकलना या फूटना। |
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अँकुराना :
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सं० [सं० अंकुरण] अंकुरित होने में प्रवृत करना। अंकुर उत्पन्न राना। अ०=अँकुरना। |
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अंकुरित :
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भू० कृ० [सं० अंकुर+इतच्] १. अंकुर के रूप में निकला हुआ या फूटा हुआ। २. उत्पन्न, उद्भूत ३. (गुठली या बीज) जिसमें से अंकुर निकले हों। |
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अंकुरित-यौवना :
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स्त्री० [ब० स०, टाप्] वह लड़की जिसका यौवनकाल आरम्भ हो रहा हो। |
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अँकुरी :
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स्त्री० [हि० अंकुर+ई प्रत्यय] १. अन्न के दाने जिनमें अंकुर या गाभ निकले हुए हों। २. इस प्रकार के अन्न की घुँघनी। |
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