शब्द का अर्थ
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अंबु :
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पुं० [सं०√अंब (शब्द) +उ] १. जल, पानी। २. रक्त या खून का जलीय अंश। ३. (जल को चौथा तत्त्व मानने के कारण) चार का अंक या संख्या। ४. जन्म-कुण्डली में चौथा घर या स्थान। ५. सुगंधबाला। |
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अंबु-कंटक :
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पुं० [ष० त०] मगर नाम का जल-जन्तु। |
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अंबु-कीश :
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पुं० [स० त०] सूँस नामक जल-जन्तु। |
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अंबु-कूर्म :
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पुं० [स० त०] सूँस (जल-जन्तु)। |
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अंबु-केशर :
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पुं० [स० त०] नीबू। |
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अंबु-घन :
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पुं० [ष० त०] ओला। |
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अंबु-चर :
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विं० [सं०√अंबु चर् (गति)+ट] जल में रहनेवाला। पुं० जल में रहने या विचरण करनेवाला जंतु या जीव। |
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अंबु-चत्वर :
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पुं० [ष० त०] झील। |
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अंबु चामर :
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पुं० [स०त०]=सिवार। |
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अंबु-चारी (रिन्) :
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पुं० [सं०√अंबु चर्+णिनि]=अंबुचर। |
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अंबुज :
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वि० [सं०√अंबु जन् (उत्पन्न होना) +ड] (स्त्री०अंबुजा) जो जल से या जल में उत्पन्न हुआ हो। जैसे—कमल, कुमुदिनि आदि। पुं० १. जल से उत्पन्न वस्तु। २. कमल। ३. ब्रह्या। ४. चंद्रमा। ५. शंख। ६. वज्र। ७. पनिहा या हिज्जल नामक वृक्ष। ८. सारस पक्षी। ९. कपूर। १. बेंत। |
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अंबुजा :
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स्त्री० [सं० अंबुज√टाप्] १. कुमुदिनि। २. कमलिनि। ३. संगीत में एक रागिनी। |
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अंबुजाक्ष :
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वि० [सं० अंबुज-अक्षि, ब० स०, अच्] जिसके नेत्र कमल के समान हों। पुं० विष्णु। |
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अंबु-जात :
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वि० , पुं० [पं० त०]=अंबुज। |
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अंबुजासन :
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पुं० [सं० अंबुज-आसन, ब० स०] ब्रह्मा। |
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अंबु-ताल :
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पुं० [स०त०]=सिवार। |
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अंबुद :
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वि० [सं० अंबु दा (दान) +क] जल देनेवाला। पुं० १. बादल, मेघ। २. मोथा। |
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अंबु-धर :
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वि० [सं० अंबु धृ (धारण करना) +अच्] जल धारण करनेवाला। पुं० बादल। मेघ। |
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अंबु-धि :
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वि० [सं० अंबु√ धा (धारण) +कि] जिसमें जल हो। पुं० १. समुद्र। २. चार की संख्या। ३. जल रखने का पात्र या बरतन। |
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अंबु नाथ :
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पुं० [ष० त०] १. समुद्र। २. वरुण। |
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अंबु निधि :
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पुं० [ष० त०] सागर। समुद्र। |
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अंबु-प :
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वि० [सं० अंबु√पा (पीना या रक्षा) +क] पानी पीनेवाला। पुं० १. समुद्र। २. वरुण। ३. शतभिक्षा नक्षत्र। ४. चक्रमर्दक या चकवँड़ नामक पौधा। |
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अंबु-पति :
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पुं० [ष० त०] १. समुद्र। २. वरुण। |
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अंबु-पत्रा :
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स्त्री० [ब० स०] एक प्रकार का पौधा। नागरमोथा। |
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अंबु-पालक :
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पुं० [स० त०] (स्त्री० अंबुपालिका) पानी भरनेवाला सेवक। पनभरा। |
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अंबु-भव :
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पुं० [ब० स०] कमल। |
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अंबु-भृत् :
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पुं० [सं० अंबु√भृ (धारण पोषण)+क्विप्] १. बादल, मेघ। २. नागरमोथा नामक पौधा। ३. समुद्र। ४. अभ्रक। अबरक। |
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अंबुमती :
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स्त्री० [सं० अंबु+मतुप्-डीप्] एक प्राचीन नदी का नाम। |
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अंबु-राज :
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पुं० [ष० त०] १. समुद्र। २. वरुण। |
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अंबु-राशि :
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[पुं० ष० त०] जल की राशि सागर। |
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अंबु-रुह :
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पुं० [सं० अंबु√रुह् (उत्पन्न होना) +क] कमल। |
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अंबु-वाची :
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पुं० [सं० अंबु√वच् (बोलना) +णिच्+अण्-डीप्] १. आर्द्रा नक्षत्र का पहला चरण जिसमें पृथ्वी रजस्वला मानी जाती है। २. उक्त अवसर पर एक प्रकार का रखा जानेवाला व्रत। |
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अंबु-वासी (सिन्) :
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पुं० [सं० अंबु√वस् (निवास) +णिनि] पाटला नाम का पौधा। |
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अंबु-वाह :
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पुं० [सं० अंबु√वह् (बहना) +अण्] १. बादल। २. नागरमोथा (पौधा)। ३. झील। |
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अंबु-वाही (हिन्) :
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वि० [सं० अंबु वह् (ढोना) +णिनि] (स्त्री० अंबुवाहिनि) पानी लानेवाला। पुं० १. बादल, मेघ। २. नागरमोथा (पौधा)। |
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अंबु-वेतस् :
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पुं० [मध्य० स०] पानी में होने वाला एक प्रकार का बेंत। जलबेंत। |
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अंबु-शायी (यिन्) :
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पुं० [सं० अंबु√शी (सोना) +णिनि] समुद्र शयन करनेवाले विष्णु। |
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अंबु-सर्पिणी :
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स्त्री० [सं० अंबु सृप् (गति) +णिनि, डीप्] जोंक। |
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