शब्द का अर्थ
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अभू :
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क्रि० वि० [हिं० अब+हू=भी] =अभी। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
अभूखन :
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पुं० =आभूषण।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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अभूत :
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वि० [सं० न० त०] १. जो अस्तित्व में न आया हो। २. जो घटित न हुआ हो। ३. वर्त्तमान। ४. अपूर्व। उदाहरण—निज सपूत की अति-अभूत करतूति निहारत।—रत्ना०। |
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अभूत-दोष :
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वि० [सं० न० ब०] जिसमें कभी कोई दोष उत्पन्न न हुआ हो। सर्वथा निर्दोष। |
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अभूतपूर्व :
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वि० [सं० भूत-पूर्व, सुपसुआ समास, न-भूतपूर्व, न० त०] १. जो या जैसा पहले कभी न हुआ हो। अपूर्व। २. अद्भुत। अनोखा। |
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अभूताहरण :
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पुं० [सं० अभूत-आहरण, ष० त०] १. ऐसी बात कहना जो कभी हुई ही न हो। २. धोखा देने या छकाने के लिए झूठी बात कहना। ३. नाटक में कपट भरी व्यंग्यपूर्ण बात कहना। |
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अभूति :
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स्त्री० [सं० न० त०] १. अस्तित्व में न आने अथवा घटित न होने की अवस्था या भाव। २. धन या शक्ति का भाव। ३. विपत्ति। संकट। |
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अभूतोपमा :
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स्त्री० [सं० अभूता-उपमा, कर्म० स०] उपमा अलंकार के दस भेदों में से एक, जिसमें चरम उत्कर्ष सिद्ध करने के लिए कहा जाता है कि इसका कोई उपमान ही नही मिलता। |
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अभूमि :
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स्त्री० [सं० न० त०] १. वह जो भूमि से भिन्न हो। २. अनुचित या अनुपयुक्त स्थान। ३. भूमि या स्थान का अभाव। |
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अभूव :
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वि० [सं० न० ब०] =अभूषित। |
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अभूषित :
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वि० [सं० न० त०] १. जो भूषित या सजाया हुआ न हो। अनलंकृत। २. जिसके पास भूषण न हों। भूषणों से रहित। |
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