शब्द का अर्थ
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ओस :
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स्त्री० [सं० अवश्याय, पा० उस्साव] वातावरण में फैले हुए वाष्प का वह रूप जो जमकर जल के कणों या छोटी-छोटी बूँदों के रूप में परिवर्तित होकर पृथ्वी पर गिरता है। विशेष—प्रायः सबेरे के समय ये जलकण फूल-पत्तों पर पड़े हुए दिखाई देते हैं। मुहावरा—(किसी चीज या बात पर) ओस पड़ना=अवस्था, शक्ति, शोभा आदि का पहले से क्षीण या हीन होना। कुम्हलाना। मुरझाना। पद—ओस का मोती=ऐसी बात या वस्तु जिसका अस्तित्व बहुत ही क्षणिक हो। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
ओसर :
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पुं० [सं० अवसर] १. अवसर। मौका। २. समय। वक्त। ३. पारी। बारी। उदाहरण—झूलहिं झुलावहिं ओसरिह्र गावैं सुही गौड़ मलार।—तुलसी। स्त्री० [सं० उपसर्या] ऐसी भैंस जो अभी तक गाभिन न हुई हो।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है)(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
ओसरना :
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अ० बरसना। (राज)। अ०=उसरना (ऊपर उठना)।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
ओसरा :
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पुं० [सं० अवसर] १. पारी। बारी। २. दूध दुहने का समय। ३. किसी विशिष्ट कार्य के लिए नियमित या नियत समय।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
ओसरी :
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स्त्री० [सं० अवसर] पारी। बारी।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
ओसांक :
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पुं० [सं० ] वातावरण की वह अवस्था अथवा उसके तापमान का वह बिन्दु जिस पर आकाश में ओस जमती और नीचे गिरती है। (ड्यूप्वाइंट) |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
ओसाई :
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स्त्री० [हिं० ओसाना] १. अनाज ओसाने की क्रिया या भाव। २. अनाज ओसाने का पारिश्रमिक।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
ओसान :
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पुं०=ओसाई। पुं०=अवसान।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है)(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
ओसाना :
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स० [सं० आवर्षण, पा० आवस्सन] भूसा मिले हुए अनाज को कुछ ऊँचाई से जमीन पर इस प्रकार गिराना कि भूसा हवा के झोंके से उड़कर अलग हो जाय और अनाज के दाने अलग इकट्ठे हो जायँ। मुहावरा—अपनी (बातें) ओसाना=अपनी ही बातें कहते चलना। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
ओसार :
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पुं० [सं० अवसरफैलाव] फैलाव। विस्तार। वि०=चौड़ा। पुं०=ओसारा। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
ओसारना :
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स०=१. उसारना।=२. ओसाना।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
ओसारा :
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पुं० [सं० उपशाल] [स्त्री० अल्प० ओसारी] कच्चे देहाती मकानों के आगे बना हुआ दालान या बरामदा।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
ओसीसा :
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पुं०=उसीसा (तकिया)।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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समानार्थी शब्द-
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ओस :
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स्त्री० [सं० अवश्याय, पा० उस्साव] वातावरण में फैले हुए वाष्प का वह रूप जो जमकर जल के कणों या छोटी-छोटी बूँदों के रूप में परिवर्तित होकर पृथ्वी पर गिरता है। विशेष—प्रायः सबेरे के समय ये जलकण फूल-पत्तों पर पड़े हुए दिखाई देते हैं। मुहावरा—(किसी चीज या बात पर) ओस पड़ना=अवस्था, शक्ति, शोभा आदि का पहले से क्षीण या हीन होना। कुम्हलाना। मुरझाना। पद—ओस का मोती=ऐसी बात या वस्तु जिसका अस्तित्व बहुत ही क्षणिक हो। |
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ओसर :
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पुं० [सं० अवसर] १. अवसर। मौका। २. समय। वक्त। ३. पारी। बारी। उदाहरण—झूलहिं झुलावहिं ओसरिह्र गावैं सुही गौड़ मलार।—तुलसी। स्त्री० [सं० उपसर्या] ऐसी भैंस जो अभी तक गाभिन न हुई हो।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है)(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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ओसरना :
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अ० बरसना। (राज)। अ०=उसरना (ऊपर उठना)।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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ओसरा :
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पुं० [सं० अवसर] १. पारी। बारी। २. दूध दुहने का समय। ३. किसी विशिष्ट कार्य के लिए नियमित या नियत समय।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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स्त्री० [सं० अवसर] पारी। बारी।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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पुं० [सं० ] वातावरण की वह अवस्था अथवा उसके तापमान का वह बिन्दु जिस पर आकाश में ओस जमती और नीचे गिरती है। (ड्यूप्वाइंट) |
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ओसाई :
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स्त्री० [हिं० ओसाना] १. अनाज ओसाने की क्रिया या भाव। २. अनाज ओसाने का पारिश्रमिक।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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पुं०=ओसाई। पुं०=अवसान।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है)(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) |
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ओसाना :
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स० [सं० आवर्षण, पा० आवस्सन] भूसा मिले हुए अनाज को कुछ ऊँचाई से जमीन पर इस प्रकार गिराना कि भूसा हवा के झोंके से उड़कर अलग हो जाय और अनाज के दाने अलग इकट्ठे हो जायँ। मुहावरा—अपनी (बातें) ओसाना=अपनी ही बातें कहते चलना। |
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ओसार :
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पुं० [सं० अवसरफैलाव] फैलाव। विस्तार। वि०=चौड़ा। पुं०=ओसारा। |
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ओसारना :
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स०=१. उसारना।=२. ओसाना।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) |
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ओसारा :
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पुं० [सं० उपशाल] [स्त्री० अल्प० ओसारी] कच्चे देहाती मकानों के आगे बना हुआ दालान या बरामदा।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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ओसीसा :
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पुं०=उसीसा (तकिया)।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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