शब्द का अर्थ
|
खंजन :
|
पुं० [सं०√खञ्ज्+ल्यु-अन] १. काले या मटमैले रंग की और लंबी पूँछवाली एक प्रसिद्ध चिड़िया जो बहुत ही चंचल होती और बराबर उधर-उधर बैठती उठती रहती है। विशेष-इसी चंचलता के कारण कविगण उसकी उपमा चंचल नेत्रों से देते हैं। २. उक्त पक्षी के रंग का घोड़ा। ३. गंगोदक नामक वर्णवृत्त का दूसरा नाम। |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
खंजनक :
|
वि० [सं० खंजन+कन्] १. जिसे खंज रोग हुआ हो। २. लँगड़ा। |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
खंजन-रति :
|
पुं० [उपमित स.](खंजन पक्षी की तरह का) ऐसा गुप्त संभोग जिसका जल्दी से किसी को पता न चले। |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
खंजना :
|
स्त्री० [सं० खंजन+क्यच्+क्विप्-टाप्]=खंजनिका। |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
खंजनासन :
|
पुं० [सं० खंजन-आसन, उपमित स.] उपासना के लिए एक प्रकार का आसन। (तंत्र) |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
खंजनिका :
|
स्त्री० [सं० खंजन+ठन्-इक, टाप्] दलदल में रहनेवाली खंजन की जाति का एक चिड़िया। सर्षपी। |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |