शब्द का अर्थ
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गुलाब :
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पुं० [फा०] १. एक प्रकार का प्रसिद्ध कँटीला पौधा जो कभी-कभी लता के रूप में भी होता है। इसके सुगंधित फूलगुलाबी, लाल, पीले, सफेद आदि अनेक रंगों के होते हैं। २. इस पौधे या लता का फूल जो अनेक रंगों का, बहुत सुन्दर और बहुत सुंगधित होता है। ३. गुलाब-जल। मुहावरा–गुलाब छिड़कना=गुलाब-जल छिड़कना। |
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समानार्थी शब्द-
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गुलाब-चश्म :
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पुं० [फा०] एक प्रकार की चिड़िया जिसके पैर लाल, चोंच काली और बाकी शरीर खैरे रंग का होता है। |
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गुलाब-छिड़काई :
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स्त्री० [फा० गुलाब+हिं० छिड़कना] १. विवाह की एक रीति जिसमें वर पक्ष और कन्या पक्ष के लोग एक दूसरे पर गुलाब-जल छिड़कते हैं। २. उक्त रीति के समय मिलनेवाला नेग। |
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गुलाबजम :
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पुं० [?] एक प्रकार की झाड़ी जिसकी पत्तियों में से एक प्रकार का भूरा रंग निकलता है। सोना फूल। |
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गुलाब-जल :
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पुं० [फा० +सं०] गुलाब के फूलों का भभके से उतारा हुआ सुगंधित अरक। |
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गुलाबजामुन :
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पुं० [फा० गुलाब+हिं० जामुन] १. घी में तली हुई तथा शीरे में भिगोई हुई खोये की एक प्रसिद्ध मिठाई। २. एक प्रकार का फलदार वृक्ष। ३. उक्त वृक्ष का फल जो बहुत स्वादिष्ट होता है। |
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गुलाब-तालू :
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पुं० [फा० गुलाब+तालू] वह हाथी, जिसके तालू का रंग गुलाबी हो। (ऐसा हाथी बहुत अच्छा समझा जाता है) |
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गुलाबपाश :
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पुं० [फा०] झारी के आकार का एक प्रकार का लम्बा पात्र जिसमें गुलाब-जल आदि भरकर शुभ अवसरों पर लोगों पर छिड़कते हैं। |
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गुलाबपाशी :
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स्त्री० [फा०] गुलाब-जल छिड़कने की क्रिया या भाव। |
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गुलाब-बाड़ी :
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स्त्री० [फा० गुलाब+हं० बाड़ी] आनंद-मंगल का वह उत्सव जिसमें आस-पास के स्थान और चीजें गुलाब के फूलों से सजाई गई हों। |
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गुलाबाँस :
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पुं०=गुल-अब्बास। |
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गुलाबा :
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पुं० [फा० गुलाब] एक प्रकार का बरतन। |
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गुलाबी :
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वि० [फा०] १. गुलाब-संबंधी। गुलाब का। २. गुलाब के रंग का। ३. गुलाब के फूल की तरह का। ४. गुलाब अथवा गुलाब-जल से सुगंधित किया हुआ। ५. बहुत थोड़ा या हलका। जैसे–गुलाबी नशा, गुलाबी सरदी। पुं० गुलाब के फूल की तरह का रंग। (रोज) स्त्री० १, शराब पीने की प्याली। २. गुलाब की पंखड़ियों से बनी हुई एक प्रकार की मिठाई। ३. एक प्रकार की मैना जो ऋतु-भेद के अनुसार अपना रंग बदलती है। |
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