पुं० [अ०] [वि० तअस्सुबी] वह असहनशील और पक्षपातपूर्ण मनोवृत्ति जो पराई जातियों, धर्मों, व्यक्तियों अथवा उनके आचार, विचारो आदि के साथ उचित और न्यायपूर्ण व्यवहार नहीं करने देती और जिसके फलस्वरूप मनुष्य उन्हें उपेक्षा, घृणा, भय, संदेह आदि की दृष्टि से देखता है।