शब्द का अर्थ
|
तीरंदाज :
|
पुं० [फा०] [भाव० तीरंदाजी] तीर से लक्ष्य-भेद करनेवाला व्यक्ति। |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
तीर :
|
पुं० [सं०√तीर्(पार जाना)+अच्] १. नदी का किनारा। तट। मुहावरा–तीर पकड़ना या लगना-किनारे पर पहुँचना। २. किसी चीज का किनारा। ३. निकटता। सामीप्य। ४. सीसा नामक धातु। ५. रांगा। अव्य-निकट। पास। समीप। पुं० [फा०] १. धनुष से छोड़ा जानेवाला वाण। शर। क्रि० वि०–चलाना।–छोड़ना।–फेंकना।–लगाना। २. लाक्षणिक रूप में कौशल या चालाकी से भरी हुई तरकीब। चाल। मुहावरा–तीर चलाना या फेंकना-ऐसी तरकीब या युक्ति लगाना जिससे काम निकलने की बहुत कुछ संभावना हो। तीर लगना-युक्ति सफल होना। काम बनना। पुं० [?] जहाज का मस्तूल (लश०)। |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
तीरगर :
|
पुं० [फा०] तीर बनानेवाला कारीगर। |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
तीरण :
|
पुं० [सं०√तीर् (पार जाना)+ल्युट-अन] करंज। |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
तीरथ :
|
पुं०=तीर्थ। |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
तीर-भुक्ति :
|
स्त्री० [सं० ब० स०] गंगा, गंडकी और कौशिकी इन तीन नदियों से घिरा हुआ तिरहुत प्रदेश। |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
तीरवर्त्ती(र्तिन्) :
|
वि० [सं० तीर√वृत् (रहना)+णिनि] १. तट पर रहनेवाला। २. तीर या तट पर स्थित होनेवाला। |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
तीरस्थ :
|
पुं० [सं० तीर√स्था (स्थित होना)+क] नदी के तीर पर पहुँचाया हुआ मरणासन्न व्यक्ति। |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
तीरा :
|
पुं० [?] गुलहजारा नामक फूल। पुं०=तीर।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
तीराट :
|
पुं० [सं० तीर√अट् (घूमना)+अच्] लोध। |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
तीरु :
|
पुं० [सं०√तृ (तैरना)+क्रु (बा०)] १. सिव। महादेव। २. सिव की स्तुति। |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
तीर्ण :
|
वि० [सं०√तृ (पार करना)+क्त] १. जो पार हो गया हो। उतीर्ण। २. जिसने सीमा का उल्लंघन किया हो। ३. भींगा हुआ। गीला। तर। |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
तीर्णपदा :
|
स्त्री० [ब० स० टाप्] तालमूल। मूसली। |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
तीर्णपदी :
|
स्त्री० [ब० स० ङीष्]=तीर्णपदा। |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
तीर्ण :
|
स्त्री० [सं० तीर्ण+टाप्] एक प्रकार का छंद। |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
तीर्थंकर :
|
पुं० [सं० तीर्थ√क (करना)+ख] जैनियों के प्रमुख देवता। विशेष–कुल ४८ तीर्थकार माने गये हैं जिनमें से २४ गत उत्सर्पिणी में और २४ वर्त्तमान उत्सर्पिणी में हुए हैं। |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
तीर्थ :
|
पुं० [सं०√तृ (पार करना)+थक्] १. जलाशय आदि में उतरने अथवा नाव के यात्रियों के उतरने-चढ़ने के लिए बनी हुई सीढियाँ। घाट। २. मार्ग। रास्ता। ३. वह जिसके द्वारा या सहायता से कोई काम होता हो या हो सकता हो। कार्य सिद्ध करने का उपाय, युक्ति या साधन। ४. कोई ऐसा स्थान, विशेषतः जलाशय, नदी, समुद्र आदि के पास का स्थान जिसे लोग धार्मिक दृष्टि से पवित्र या मोक्षदायक समझते हों और श्रद्धापूर्वक दर्शन, पूजन आदि के लिए जाते हों। जैसे–काशी हिंदुओं का और मक्का मुसलमानों का बहुत बड़ा तीर्थ है। ५. कोई ऐसा स्थान जिसे लोग अन्य स्थानों से विशिष्ट महत्त्व का या कार्य सिद्धि में सहायक समझते हों। जैसे–आज-कल के राजनितिज्ञों का तीर्थ तो बस दिल्ली है। ६. कोई ऐसा महात्मा या महापुरुष जिसे लोग पूज्य और श्रद्धेय समझते हों। जैसे–गुरु पिता, माता आदि तीर्थ हैं। ७. धार्मिक गुरु या शिक्षक। उपाध्याय। ८. किसी चीज या बात का मूल कारण या स्रोत अथवा मुख्य साधन। ९. उपयुक्त अथवा योग्य परामर्श या सूचना। १॰. किसी काम या बात के लिए उपयुक्त अवसर या स्थल। ११. धार्मिक ग्रंथ, विज्ञान या शास्त्र। १२. यज्ञ। १३. हथेली और उंगलियों के कुछ विशिष्ट स्थान जिनमें कुछ विशिष्ट देवी-देवताओं का अवस्थान माना जाता है। १४. ईश्वर अथवा उसका कोई अवतार। १५. किसी देवता या देवी का चरणामृत। १६. दर्शन शास्त्र की कोई शाखा या सिद्धांत। १७. ब्राह्मण। १८. अग्नि। आग। १९. पुण्य काल। २॰. अतिथि। मेहमान। २१. दशनामी संन्यासियों का एक भेद और उनकी उपाधि। २२. योनि। भग। २३. रजस्वला स्त्री का रज। २४. वैर-भाव छोड़कर किया जानेवाला सदव्यवहार या सदाचरण। २५. परामर्श देनेवाला व्यक्ति। मंत्री। २६. प्राचीन भारत में, वे विशिष्ट अठारह अधिकारी जो राष्ट्र की संपत्ति माने जाते थे। यथा-मंत्री पुरोहित, युवराज, भूपति, द्वारपाल, अंतर्वेशिक, कारागार का अध्यक्ष, द्र्व्य या धन एकत्र करनेवाला अधिकारी, कृत्याकृत्य अर्थ का विनियोजत प्रदेष्टा, नगराध्यक्ष, कार्यनिर्माण कारक, धर्माध्यक्ष, सभाध्यक्ष, दंडपाल, दुर्गपाल, राष्ट्रन्तपाल, और अटवीपाल। २७. रोग का निदान या पहचान। वि० १. तारने या पार उतारनेवाला। २. उद्धार करने या बचानेवाला। |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
तीर्थकृत् :
|
पुं० [सं० तीर्थ√कृ (करना)+क्विप्] १. जैनियों के देवता। जिन। देव। २. शास्त्रकार। |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
तीर्थक :
|
पुं० [सं० तीर्थ√कै (शब्द करना)+क] १. ब्राह्मण। २. तीर्थकार। ३. तीर्थों की यात्रा करनेवाला व्यक्ति। |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
तीर्थकर :
|
पुं० [सं० तीर्थ√कृ+ट] १. विष्णु। २. जैनों के विशिष्ट महापुरुष जो संख्या में २४ हैं और जिन कहे जाते हैं। |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
तीर्थ-काक :
|
पुं० [स० त०] वह जो तीर्थ में रह कर धर्म के नाम पर लोगों से धन ऐंठता हो। |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
तीर्थ-देव :
|
[ष० त० वा उपमि० स०] शिव। महादेव। |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
तीर्थ-पति :
|
पुं० [ष० त]=तीर्थराज। |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
तीर्थ-पाद् :
|
पुं० [ब० स०] विष्णु। |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
तीर्थपादीय :
|
पुं० [सं० तीर्थपाद+छ-ईय] वैष्णव। |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
तीर्थ-पुरोहित :
|
पुं० [स० त०] वह जो किसी विशिष्ट तीर्थ में रहकर आनेवाले यात्रियों का पौरोहित्य करता और उन्हें स्नान, दर्शन आदि कराता हो। पंडा। |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
तीर्थयात्रा :
|
स्त्री० [मध्य० स०] तीर्थ-स्थानों के दर्शनार्थ की जानेवाली यात्रा। |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
तीर्थ-राज :
|
पुं० [ष० त] प्रयाग। |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
तीर्थन्राजि :
|
स्त्री० [ब० स०] काशी। |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
तीर्थ-व्यास :
|
पुं=तीर्थ-काक। |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
तीर्थसेनि :
|
स्त्री० [सं०] कार्तिकेय की एक मातृका का नाम। |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
तीर्थ-सेवी(विन्) :
|
पुं० [सं० तीर्थ√सेव्(सेवन करना)+णिनि] वह जो पुण्य,मोक्ष आदि प्राप्त करने के विचार से और धार्मिक भावनाओं से सदाचारपूर्वक किसी तीर्थ में जाकर रहने लगता हो। |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
तीर्थाटन :
|
पुं० [सं० तीर्थ-अटन,मध्य०स०] तीर्थयात्रा। |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
तीर्थिक :
|
पुं० [सं० तीर्थ+ठन्-इक] १. तीर्थ का ब्राह्मण। पंडा। २. तीर्थकर। ३. बौद्धों की दृष्टि में वह ब्राह्मण जो बौद्ध धर्म का द्वेषी हो। |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
तीर्थिया :
|
पुं० [सं० तीर्थ+हिं० इया(प्रत्य)] जैनी जो तीर्थकरों के उपासक होते हैं। |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
तीर्थोंदक :
|
पुं० [सं० तीर्थ-उदक, ष० त०] किसी तीर्थस्थल का जल जो पवित्रमाना जाता है। |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
तीर्थ्य :
|
पुं० [सं० तीर्थ+यत्] १. एक रूद्र का नाम। २. सहपाठी। |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
तीर्न :
|
वि० [सं० तीर्ण] १. उत्तीर्ण। २. भींगा हुआ। |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |