शब्द का अर्थ
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दूत :
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पुं० [सं०√दू (दुखी होना)+क्त] [स्त्री० दूती] १. वह व्यक्ति जो किसी का सन्देश लेकर कहीं जाय। दूसरों के सन्देश अभिप्रेत व्यक्ति तक पहुँचाने वाला। २. प्रेमी और प्रेमिका के सन्देश एक दूसरे को पहुँचानेवाला व्यक्ति। ३. वह जो एक दूसरे की बातें इधर-उधर लगाकर दोनों पक्षों में लड़ाई-झगड़ा कराता हो। (क्व०) ४. दे० ‘राजदूत’। |
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समानार्थी शब्द-
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दूतक :
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पुं० [सं० दूत+कन्] १. प्राचीन भारत में, वह कर्मचारी जो राजा की दी हुई आज्ञा का सर्व-साधारण में प्रचार करता था। २. दूत। |
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दूतकत्व :
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पुं० [सं० दूतक+त्व] १. दूतक का काम, पद या भाव। २. दूत का काम, पद या भाव। |
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दूत-कर्म (न्) :
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पुं० [ष० त०] दूत का काम। दूतत्व। |
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दूत-काव्य :
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पुं० [मध्य० स०] ऐसा काव्य जिसमें मुख्यतः किसी दूत के द्वारा प्रिय के पास विरह निवेदन भेजा गया हो। जैसे—मेघदूत, पवनदूत। |
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दूतघ्नी :
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स्त्री० [सं० दूत√हन् (हिंसा)+टक्—ङीष्] गोरखमुंडी। कदंबपुष्पी। |
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दूतता :
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स्त्री० [सं० दूत+तल्—टाप्] दूत का काम, पद या भाव। दूतत्व। |
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दूतत्व :
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पुं० [सं० दूत+त्व] दूत का काम, पद या भाव। दूतता। |
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दूतपन :
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पुं० [सं० दूत+हिं० पन (प्रत्य०)] दूतत्व। |
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दूत-मंडल :
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पुं० [ष० त०] आधुनिक राजनीति में, एक देश से दूसरे देश को किसी काम के लिए भेजे हुए दूतों का दल या समूह। |
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दूतर :
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वि०=दुस्तर।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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दूतायन :
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पुं० दे० ‘दूतावास’। |
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दूतावास :
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पुं० [दूत-आवास, ष० त०] वह भवन या क्षेत्र जिसमें किसी दूसरे राज्य के राजदूत तथा उसके साथ के कर्मचारी रहते तथा काम करते हों। राजदूत का कार्यालय। (लीगेशन) |
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दूति :
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स्त्री० [सं०√दू+ति]=दूती। |
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दूतिका :
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स्त्री० [सं० दूति+कन्—टाप्] दूती। |
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दूती :
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स्त्री० [सं० दूति+ङीष्] १. संदेश पहुँचानेवाली स्त्री। २. साहित्य में, वह स्त्री जो प्रेमिका का संदेश प्रेमी तक और प्रेमी का संदेश प्रेमिका तक पहुँचाती है। इसके उत्तमा, मध्यमा और अधमा तीन भेद है। ३. दे० ‘कुटनी’। |
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दूत्य :
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पुं० [सं० दूत+य] दूत का काम, पद या भाव। |
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