शब्द का अर्थ
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द्यो :
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स्त्री० [सं०√द्युत+डो] १. स्वर्ग। २. आकाश। ३. शतपथ ब्राह्मण के अनुसार आठ वस्तुओं में से एक। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
द्योकार :
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पुं० [सं० द्यो√कृ+अण्] भवन बनानेवाला राज। |
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द्योत :
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पुं० [सं०√द्युत् (चमकना)+घभ्] १. प्रकाश। २. धूप। |
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द्योतक :
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वि० [सं०√द्युत्+णिच्.+ण्वुल्—अक] १. द्योतन करनेवाला। २. जो किसी चीज को प्रकाश में लावे। ३. प्रकट करनेवाला। ४. अभिव्यक्त या व्यक्त करनेवाला। |
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द्योतन :
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पुं० [सं०√द्युत्+णिच्+ल्युट—अन] [भू० कृ० द्योतित] प्रकाश से युक्त करने की क्रिया या भाव। २. दिखाने की क्रिया या भाव। दिग्दर्शन। ३. प्रकट या व्यक्त करने की क्रिया या भाव। ४. [√द्युत्+युचअन्] दीआ। दीपक। वि० चमकीला। प्रकाशमान। |
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द्योतनिका :
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स्त्री० [सं० द्योतन+डीष्+कन्-टाप्, ह्रस्व] किसी ग्रन्थ की टीका या व्याख्या। |
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द्योतित :
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भू० कृ० [सं०√द्युत्+णिच्+क्त] १. द्युति या प्रकाश से युक्त किया हुआ। २. प्रकट या व्यक्त किया हुआ। |
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द्योतिरिंगण :
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पुं० [सं० ज्योतिरिंगण पृषो० सिद्धि] खद्योत। जुगनूँ। |
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द्यो-भूमि :
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पुं० [सं० ब० स०] पक्षी। |
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द्योषद् :
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पुं० [सं० द्यो√सन्+क्विप्] देवता। |
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द्योहरा :
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पुं०=देवहरा (देवालय)।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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