शब्द का अर्थ
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पाहँ :
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अव्य० [सं० पार्श्व; प्रा० पास; पाह] १. निकट। पास। समीप। २. प्रति। से। उदा०—जाइ कहहु उन पास सँदेसू।—जायसी। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पाह :
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स्त्री० [हिं० पाहन] एक तरह का पत्थर जिससे लौंग, फिटकरी, अफीम आदि घिसकर आँख पर लगाने का लेप बनाते हैं। पुं० [सं० पथ] पथ। मार्ग। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पाहत :
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पुं० [सं० नि० सिद्धि० पररूप] शहतूत का पेड़। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पाहन :
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पुं० [सं० पाषाण, प्रा० पाहाण] १. पत्थर। उदा०—पाहन ते न कठिन कठिनाई।—तुलसी। २. कसौटी का पत्थर। ३. पारस पत्थर। स्पर्शमणि। उदा०—इतर धातु पाहनहिं परसि कंचन ह्वै सोहै।—नन्ददास। वि० पत्थर की तरह कठोर हृदय का। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पाहरू :
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पुं० [हिं० पहर, पहरा] पहरा देनेवाला। पहरेदार। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पाहल :
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स्त्री० [हिं० पहला] किसी को सिक्ख धर्म की दीक्षा देने के समय होनेवाला धार्मिक कृत्य या समारोह। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पाहा :
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पुं० [सं० पथ] १. पथ। मार्ग। २. मेंड़। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पाहात :
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पुं० [सं० नि० सिद्धि] शहतूत का पेड़। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पाहार :
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पुं० [सं० पयोधर; प्रा० पयोहर] बादल। मेघ। पुं० पहाड़।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पाहिं :
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अव्य० [सं० पार्श्व; प्रा० पास, पाह] १. पास। निकट। २. किसी की ओर या प्रति। ३. किसी के उद्देश्य से अथवा उसके पास जाकर। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पाहि :
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अव्य० [सं०√पा+लोट्+सिप्—हि] रक्षा करो। बचाओ। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पाहिमाम् :
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अव्य० [सं० पाहि और माम्व्यस्त पद] त्राहिमाम्। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पाहीं :
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अव्य०=पाहिं।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पाही :
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स्त्री० [हिं० पाह=पथ] किसी किसान की वह खेती जो उसके गाँव या निवास स्थान से कुछ अधिक दूरी पर हो। उदा०—तहाँ नरायन पाही कीन्हां, पल आवैं पल जाई हो।—नारायणदास सन्त। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पाहुँच :
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स्त्री०=पहुँच।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पाहुना :
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पुं० [सं० प्राघूर्ण, प्राघुण=अतिथि] [स्त्री० पाहुनी] १. अतिथि। मेहमान। अभ्यागत। २. जमाता। दामाद। (पूरब) |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पाहुनी :
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स्त्री० [हिं० पाहुना] १. आतिथ्य। मेहमानदारी। पहुनई। २. रखेली स्त्री। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पाहुर :
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पुं० [सं० प्राभृत; प्रा० पाहुड=भेंट] १. उपहार। भेंट। नजर। २. शुभ अवसरों पर संबंधियों और इष्ट-मित्रों के यहाँ भेजे जानेवाले फल, मिठाइयाँ आदि। बैना। बायन। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पाहू :
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पुं० [सं० पथ, पुं० हिं० पाह] १. पाथिक। बटोही। २. पाहुना। मेहमान। ३. दामाद। उदा०—पाहु घर आवे मुकलाऊ आये।—गुरु ग्रंथसाहब। पुं० [?] दोनों ओर से थोड़ा मुड़ा हुआ वह मोटा लोहा जिससे इमारत में अगल-बगल रखे हुए पत्थर जड़कर स्थित किये जाते हैं। पुं० [सं० पाहि] १. घृणा या तुच्छतापूर्वक किसी को पुकारने या संबोधित करने का शब्द। २. तुच्छ व्यक्ति। |
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पाहँ :
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अव्य० [सं० पार्श्व; प्रा० पास; पाह] १. निकट। पास। समीप। २. प्रति। से। उदा०—जाइ कहहु उन पास सँदेसू।—जायसी। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पाह :
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स्त्री० [हिं० पाहन] एक तरह का पत्थर जिससे लौंग, फिटकरी, अफीम आदि घिसकर आँख पर लगाने का लेप बनाते हैं। पुं० [सं० पथ] पथ। मार्ग। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पाहत :
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पुं० [सं० नि० सिद्धि० पररूप] शहतूत का पेड़। |
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समानार्थी शब्द-
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पाहन :
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पुं० [सं० पाषाण, प्रा० पाहाण] १. पत्थर। उदा०—पाहन ते न कठिन कठिनाई।—तुलसी। २. कसौटी का पत्थर। ३. पारस पत्थर। स्पर्शमणि। उदा०—इतर धातु पाहनहिं परसि कंचन ह्वै सोहै।—नन्ददास। वि० पत्थर की तरह कठोर हृदय का। |
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पाहरू :
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पुं० [हिं० पहर, पहरा] पहरा देनेवाला। पहरेदार। |
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पाहल :
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स्त्री० [हिं० पहला] किसी को सिक्ख धर्म की दीक्षा देने के समय होनेवाला धार्मिक कृत्य या समारोह। |
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पाहा :
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पुं० [सं० पथ] १. पथ। मार्ग। २. मेंड़। |
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पाहात :
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पुं० [सं० नि० सिद्धि] शहतूत का पेड़। |
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पाहार :
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पुं० [सं० पयोधर; प्रा० पयोहर] बादल। मेघ। पुं० पहाड़।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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उपलब्ध नहीं |
पाहिं :
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अव्य० [सं० पार्श्व; प्रा० पास, पाह] १. पास। निकट। २. किसी की ओर या प्रति। ३. किसी के उद्देश्य से अथवा उसके पास जाकर। |
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पाहि :
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अव्य० [सं०√पा+लोट्+सिप्—हि] रक्षा करो। बचाओ। |
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पाहिमाम् :
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अव्य० [सं० पाहि और माम्व्यस्त पद] त्राहिमाम्। |
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पाहीं :
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अव्य०=पाहिं।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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पाही :
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स्त्री० [हिं० पाह=पथ] किसी किसान की वह खेती जो उसके गाँव या निवास स्थान से कुछ अधिक दूरी पर हो। उदा०—तहाँ नरायन पाही कीन्हां, पल आवैं पल जाई हो।—नारायणदास सन्त। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पाहुँच :
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स्त्री०=पहुँच।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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पाहुना :
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पुं० [सं० प्राघूर्ण, प्राघुण=अतिथि] [स्त्री० पाहुनी] १. अतिथि। मेहमान। अभ्यागत। २. जमाता। दामाद। (पूरब) |
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पाहुनी :
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स्त्री० [हिं० पाहुना] १. आतिथ्य। मेहमानदारी। पहुनई। २. रखेली स्त्री। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पाहुर :
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पुं० [सं० प्राभृत; प्रा० पाहुड=भेंट] १. उपहार। भेंट। नजर। २. शुभ अवसरों पर संबंधियों और इष्ट-मित्रों के यहाँ भेजे जानेवाले फल, मिठाइयाँ आदि। बैना। बायन। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पाहू :
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पुं० [सं० पथ, पुं० हिं० पाह] १. पाथिक। बटोही। २. पाहुना। मेहमान। ३. दामाद। उदा०—पाहु घर आवे मुकलाऊ आये।—गुरु ग्रंथसाहब। पुं० [?] दोनों ओर से थोड़ा मुड़ा हुआ वह मोटा लोहा जिससे इमारत में अगल-बगल रखे हुए पत्थर जड़कर स्थित किये जाते हैं। पुं० [सं० पाहि] १. घृणा या तुच्छतापूर्वक किसी को पुकारने या संबोधित करने का शब्द। २. तुच्छ व्यक्ति। |
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समानार्थी शब्द-
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