शब्द का अर्थ
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पूरण :
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पुं० [सं०√पूर+णिच्+ल्युट्—अन] [वि० पूरणीय] १. पूरा करने की क्रिया। २. अवकाश, रिक्त स्थान आदि में किसी को बैठना या रखना। पूर्ति करना। ३. कान आदि में तेल डालने की क्रिया। ४. अंकों का गुणा करना। ५. मृतक के दसवें दिन दिया जानेवाला पिंड जो मृतक के पर-लोक-गत शरीर को पूरा करनेवाला माना जाता है। ६. वर्षा। वृष्टि। ७. केवटी। मोथा। ८. पुल। सेतु। ९. समुद्र। १॰. गदह-पूरना। पूनर्नवा। ११. वैद्यक में वात के प्रकोप से होनेवाला एक प्रकार का फोड़ा या व्रण। वि० [सं०√पूर+णिच्+ल्यु—अन] पूरा करनेवाला। पूरक। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पूरणी :
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स्त्री० [सं० पूरण+ङीप्] सेमर। शाल्मकी वृक्ष। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पूरणीय :
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वि० [सं०√पूर+अनीयर्] १. जो पूर्ण किये जाने के योग्य हो। २. भरे जाने के योग्य। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पूरण :
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पुं० [सं०√पूर+णिच्+ल्युट्—अन] [वि० पूरणीय] १. पूरा करने की क्रिया। २. अवकाश, रिक्त स्थान आदि में किसी को बैठना या रखना। पूर्ति करना। ३. कान आदि में तेल डालने की क्रिया। ४. अंकों का गुणा करना। ५. मृतक के दसवें दिन दिया जानेवाला पिंड जो मृतक के पर-लोक-गत शरीर को पूरा करनेवाला माना जाता है। ६. वर्षा। वृष्टि। ७. केवटी। मोथा। ८. पुल। सेतु। ९. समुद्र। १॰. गदह-पूरना। पूनर्नवा। ११. वैद्यक में वात के प्रकोप से होनेवाला एक प्रकार का फोड़ा या व्रण। वि० [सं०√पूर+णिच्+ल्यु—अन] पूरा करनेवाला। पूरक। |
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पूरणी :
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स्त्री० [सं० पूरण+ङीप्] सेमर। शाल्मकी वृक्ष। |
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पूरणीय :
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वि० [सं०√पूर+अनीयर्] १. जो पूर्ण किये जाने के योग्य हो। २. भरे जाने के योग्य। |
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