शब्द का अर्थ
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पूर्त :
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वि० [सं०=पृ (पालन करना)+क्त] १. पूरी तरह से भरा हुआ। २. छाया या ढका हुआ। आवृत्त। ३. पालित। ४. रक्षित। पुं० १. पूर्णता। २. देवगृह, वापी आदि का बनवाना जो धार्मिक दृष्टि से उत्तम कर्म माना गया है। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पूर्त-विभाग :
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पुं० [ष० त०] आज-कल की राजकीय विभाग जो सड़कें, पुल, नहरें आदि लोकोपयोगी वास्तु-रचनाओं का निर्माण कराता है। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पूर्त-संस्था :
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स्त्री० [ष० त०] धर्मार्थ कार्यों के लिए स्थापित की हुई संस्था (चैरिटेबिल इंस्टीट्यूशन) |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पूर्ति :
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स्त्री० [सं० पृ+क्ति] १. पूरे या पूर्ण होने की क्रिया या भाव। पूर्णता। २. जो वस्तु अपेक्षित, आवश्यक या कम हो, उसे लाकर प्रस्तुत करने की क्रिया। कमी पूरी करने का काम। जैसे—अभाव की पूर्ति, समस्या की पूर्ति। ३. अर्थशास्त्र में, वे वस्तुएँ जो किसी विशिष्ट मूल्य पर बिकने के लिए बाजार में आई हों। (सप्लाई)। ४. वापी, कूप या तड़ाग आदि का उत्सर्ग। ५. किसी बही, आकार-पत्र आदि के कोष्टकों में आवश्यकतानुसार कुछ लिखने या खाने भरने का काम। ६. गुणा करने की क्रिया या भाव। गुणन। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पूर्ती (र्तिन्) :
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वि० [सं० पूर्त्त+इनि] १. तृप्ति देनेवाला। २. इच्छा पूर्ण करनेवाला। ३. भरा हुआ। पूरित। पुं० श्राद्ध। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पूर्त :
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वि० [सं०=पृ (पालन करना)+क्त] १. पूरी तरह से भरा हुआ। २. छाया या ढका हुआ। आवृत्त। ३. पालित। ४. रक्षित। पुं० १. पूर्णता। २. देवगृह, वापी आदि का बनवाना जो धार्मिक दृष्टि से उत्तम कर्म माना गया है। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पूर्त-विभाग :
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पुं० [ष० त०] आज-कल की राजकीय विभाग जो सड़कें, पुल, नहरें आदि लोकोपयोगी वास्तु-रचनाओं का निर्माण कराता है। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पूर्त-संस्था :
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स्त्री० [ष० त०] धर्मार्थ कार्यों के लिए स्थापित की हुई संस्था (चैरिटेबिल इंस्टीट्यूशन) |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पूर्ति :
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स्त्री० [सं० पृ+क्ति] १. पूरे या पूर्ण होने की क्रिया या भाव। पूर्णता। २. जो वस्तु अपेक्षित, आवश्यक या कम हो, उसे लाकर प्रस्तुत करने की क्रिया। कमी पूरी करने का काम। जैसे—अभाव की पूर्ति, समस्या की पूर्ति। ३. अर्थशास्त्र में, वे वस्तुएँ जो किसी विशिष्ट मूल्य पर बिकने के लिए बाजार में आई हों। (सप्लाई)। ४. वापी, कूप या तड़ाग आदि का उत्सर्ग। ५. किसी बही, आकार-पत्र आदि के कोष्टकों में आवश्यकतानुसार कुछ लिखने या खाने भरने का काम। ६. गुणा करने की क्रिया या भाव। गुणन। |
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समानार्थी शब्द-
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पूर्ती (र्तिन्) :
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वि० [सं० पूर्त्त+इनि] १. तृप्ति देनेवाला। २. इच्छा पूर्ण करनेवाला। ३. भरा हुआ। पूरित। पुं० श्राद्ध। |
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समानार्थी शब्द-
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