शब्द का अर्थ
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प्रतिक :
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वि० [सं० कार्षापण+ठिठन्—इक्, प्रति-आदेश] १. जो एक कार्षापण में खरीदा गया हो। २. पुस्तकों आदि की प्रति से सम्बन्ध रखनेवाला। जैसे—पुस्तक का प्रतिक स्वत्व। |
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प्रतिकर :
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पुं० [सं० प्रति√कृ (फेंकना)+अप्] अपकार, क्षति, हानि आदि के बदले में दिया जानेवाला धन। मुआवजा। (कम्पेन्सेशन) |
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प्रतिकरण :
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पुं० [सं० प्रति√कृ+ल्युट्—अन] किसी कार्य, उत्तर, प्रतिकार या विरोध में किया जानेवाला कार्य। (काउन्टर एक्शन) |
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प्रतिकर्त्ता (तृ) :
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वि० [सं० प्रति√कृ+तृच] प्रतिकरण या प्रतिकार करनेवाला। |
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प्रतिकर्म (न्) :
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पुं० [सं० मध्य० स०] १. वेश। भेस। २. किसी के कर्म के उत्तर में या उसका बदला चुकाने के लिए किया जानेवाला कर्म। प्रतिकार। बदला। ३. शरीर को सजाने-सँवारने के लिए किये जानेवाले अंग-कर्म। श्रृंगार। |
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प्रतिकर्मक :
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वि० [सं०] प्रतिकर्म करनेवाला। |
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प्रतिकर्मक :
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पुं० [सं०] रसायन शास्त्र में किसी द्रव्य के अस्तित्व या विद्यमानता की जाँच करने के लिए उसमें मिलाया जानेवाला वह द्रव्य जो पहलेवाले परीक्ष्य द्रव्य में प्रतिक्रिया उत्पन्न करता हो। (रि-एजेन्ट) |
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प्रतिकर्ष :
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पुं० [सं० प्रति√कृष् (खींचना)+घञ्] १. एकत्र करना। २. संयोग। |
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प्रतिकश :
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वि० [सं० प्रति√कश् (गति और शासन)+अच्] चाबुक की परवाह न करनेवाला (घोड़ा)। |
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प्रतिकष :
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पुं० [सं० प्रति√कष् (गति)+अच्] १. नेता। २. सहायक। ३. दूत। |
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प्रतिक स्वत्व :
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पुं० [सं०] किसी कवि, लेखक, कलाकार आदि की कृति की प्रतियाँ छापने अथवा और किसी प्रकार प्रस्तुत करने का वह स्वत्व जो उसके कर्ता की अनुमति के बिना और किसी को प्राप्त नहीं होता। (कॉपी राइट) |
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प्रतिकाय :
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पुं० [सं० प्रति√चि (चयन करना)+घञ्, कुत्व] १. किसी की काया के अनुरूप बनाई हुई काया। प्रतिमूर्ति। पुतला। २. दुश्मन। शत्रु। ३. लक्ष्य। |
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प्रतिकार :
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पुं० [सं० प्रति√कृ (करना)+घञ्] १. किसी काम, चीज या बात के बदले में या क्षतिपूर्ति के निमित्त दिया जानेवाला धन। २. किसी काम या बात का बदला चुकाने के लिए किया जानेवाला कार्य। बदला। ३. किसी काम या बात को दबाने, रोकने आदि के लिए किया जानेवाला उपाय या प्रयत्न। (काउन्टर-एक्शन) जैसे—उन्होंने जो यह व्यर्थ का उपद्रव खड़ा कर रखा है, इसका कुछ प्रतिकार होना चाहिए। ४. रोग की चिकित्सा। इलाज। |
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प्रतिकारक :
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वि० [सं० प्रति√कृ+ण्वुल्—अक] १, किसी प्रकार कि क्रिया या प्रतिकार या विरोध करनेवाला। २. किसी क्रिया के गुण या प्रभाव को नष्ट करनेवाला। मारक। (एन्टीडोट) |
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प्रतिकारिक :
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वि० [सं० प्रतिकार से] १. प्रतिकार के रूप में होने या उससे संबंध रखनेवाला। २. किसी गुण, परिणाम, प्रभाव आदि के विपरीत होकर उसे निष्फल या व्यर्थ करनेवाला। (काउन्टर-एक्टिव) |
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प्रतिकार्य :
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वि० [सं० प्रति√कृ+ण्यत् जिसका प्रतिकार किया जा सके या किया जाना चाहिए। |
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प्रतिकुंचित :
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पुं० [सं० प्रति√कुंच् (टेढ़ा होना)+क्त] झुका हुआ। टेढ़ा। |
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प्रतिकूप :
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पुं० [सं० प्रा० स०] परिखा। खाईं। |
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प्रतिकूल :
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पुं० [सं० ब० स०] नदी का सामनेवाला अर्थात् उस ओर का कूल अर्थात् किनारा या तट। वि० [भाव० प्रतिकूलता] १. जो इस ओर या हमारे पक्ष में नहीं, बल्कि उस, दूरवर्ती या सामनेवाले पक्ष में हो। ‘अनुकूल’ का विपर्याय। २. (व्यक्ति) जो हमसे अलग या दूर रहकर हमारे कामों में बाधक होता हो। ३. (कार्य, वस्तु या स्थिति) जो किसी अन्य कार्य, वस्तु या स्थिति के मार्ग में बाधक होती हो। (एडवर्स) ४. रुचि, वृत्ति, स्वभाव आदि के विरुद्ध पड़ने या होनेवाला। जैसे—यहाँ का जलवायु हमारे लिए प्रतिकूल है। ‘अनुकूल’ का विपर्याय, उक्त सभी अर्थों में। |
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प्रतिकूलता :
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स्त्री० [सं० प्रतिकूल+तल्+टाप्] १. प्रतिकूल होने की अवस्था, गुण या भाव। विपरीतता। २. विरोध। |
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प्रतिकूलत्व :
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पुं० [सं० प्रतिकूल+त्व] प्रतिकूलता। |
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प्रतिकूला :
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स्त्री० [सं० प्रतिकूल+टाप्] सौत। सपत्नी। |
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प्रतिकूलाक्षर :
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पुं० [सं० प्रतिकूल-अक्षर, ब० स०] साहित्य में किसी प्रसंग के वर्णन में ऐसे खटकनेवाले अक्षरों या वर्णों का प्रयोग जो वस्तुत |
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प्रतिकृत :
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वि० [सं० प्रति√कृ (करना)+क्त] १. जिसका प्रतिकार हो चुका हो। २. जिसका उत्तर दिया अथवा बदला चुकाया जा चुका हो। ३. जिसके अन्त या विनाश का उपाय किया जा चुका हो। |
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प्रतिकृति :
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स्त्री० [सं० प्रति√कृ+क्तिन्] १. किसी चीज के आकार-प्रकार आदि के अनुरूप बनी या बनाई हुई वैसी ही दूसरी चीज। जैसे—यह लड़का अपने पिता की प्रतिकृति है। २. प्रतिमा। प्रतिमूर्ति। ३. चित्र। तसवीर। ४. छाया। प्रतिबिंब। ५. प्रतिकार। बदला। ६. पूजा। ७. प्रतिनिधि। |
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प्रतिकृत्य :
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वि० [सं० प्रति√कृ+क्यप्] १. जिसका प्रतिकार किया जा सकता हो या किया जाने को हो। २. जिसका प्रतिकार करना उचित हो। पुं० ऐसा कार्य जो किसी के विरोध में किया गया हो। प्रतिकार। |
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प्रतिकृष्ट :
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वि० [सं० प्रति√कृष्+क्त] १. दोबारा जोता हुआ (खेत)। २. जिसका निवारण किया गया हो। ३. छिपा हुआ। ४. तुच्छ। हेय। |
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प्रतिक्रम :
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पुं० [सं० प्रा० स०] १. उलटा या विपरीत क्रम। २. प्रतिकूल अथवी विपरीत आचरण या कार्य। वि० जो किसी नियत या मानक क्रम के अनुसार न होकर विपरीत क्रम से बना या लगा हुआ हो। |
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प्रतिक्रमात् :
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अव्य० [सं० प्रतिक्रम का पञ्चम्यन्त] उल्लिखित, निर्दिष्ट या बताये हुए क्रम के उलटे या विपरीत क्रम से। (वाइस-वर्सा) |
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प्रतिक्रांति :
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स्त्री० [सं०] किसी क्रांति के बल या वेग के बहुत बढ़ने पर उसे दबाने या रोकने के लिए होनेवाली क्रांति। (काउन्टर रिवोल्यूशन) |
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प्रतिक्रिया :
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वि० [सं० प्रतिक्रिया से] १. (पदार्थ) जिससे कोई रसायनिक क्रिया हो चुकने पर उसके विपरीत कोई क्रिया उत्पन्न हो। २. कोई क्रिया होने पर उसके फलस्वरूप या विपरीत क्रिया उत्पन्न या सम्पन्न करनेवाला। (रि-एक्टिव) |
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प्रतिक्रियक :
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वि० दे० ‘प्रतिक्रियावादी’। |
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प्रतिक्रिया :
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स्त्री० [सं० प्रति√कृ+श, इयङ-देश,+टाप्] १. किसी के किये हुए काम या बात का होनेवाला प्रतिकार। बदला। (रिएक्शन) २. कोई क्रिया या घटना होने पर उसके विपक्ष या विरोध में अथवा उसकी पुनरावृत्ति रोकने के लिए होनेवाली क्रिया या घटना। जैसे—वह दमन की प्रतक्रिया ही थी, जिसने आंदोलन का रूप और भी उग्र कर दिया था। ३. कोई क्रिया होने पर उसकी विपरीत दिशा में आप से आप प्राकृतिक नियमों के अनुसार या स्वाभाविक रूप से होनेवाली क्रिया। जैसे—फेंका हुआ पत्थर जहाँ गिरता है, वहाँ से इसी लिए उछल कर दूर जा पड़ता है कि उस पर आघात की प्रतिक्रिया होती है। ४. किसी काम, चीज या बात के बहुत आगे बढ़ चुकने पर पीछे की ओर अथवा किसी अन्य विपरीत दिशा में होनेवाली उसकी गति या प्रवृत्ति। जैसे—इस थकावट (या शिथिलता) को परिश्रम की प्रतिक्रिया समझना चाहिए। ५. रसायन शास्त्र में, दो या अधिक द्रव्यों का मिश्रण या संयोग होने पर उनमें से किसी पर दूसरे द्रव्य का पड़नेवाला प्रभाव या होनेवाला परिणाम। ६. भौतिक शास्त्र में, एक अवस्था का अन्त होने पर स्वभाविक रूप से दूसरी विपरीत अवस्था का आविर्भाव या संचार। जैसे-बहुत अधिक गरमी के बाद होनेवाली ठंढ़क, या ज्वर उतर जाने पर शरीर का बिलकुल ठंढ़ा हो जाना। ७. प्राचीन संस्कृत साहित्य में (क) परिष्करण या संस्कार। (ख) श्रृंगार या सजावट। |
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प्रतिक्रियात्मक :
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वि० [सं० प्रतिक्रिया-आत्मन्, ब० स०,+कप्] १. जिसके साथ कोई प्रतिक्रिया लगी हो। या लगी रहती हो। प्रतिक्रिया से युक्त। २. दे० ‘प्रतिक्रियक’। |
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प्रतिक्रियावाद :
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पुं० [सं० ष० त०] [वि० प्रतिक्रियावादी] यह मत या सिद्धान्त की जो बातें पहले से चली आ रही हैं, उनमें परिवर्तन या सुधार करनेवालों का विरोध करना चाहिए। (रिएक्शनिज़्म) |
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प्रतिक्रियावादी (दिन्) :
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वि० [सं० प्रतिक्रियावाद+इनि] प्रतिक्रिया वाद-संबंधी। पुं० वह जो प्राचीन मान्यताओं, सिद्धान्त आदि को माननेवाला तथा नवीन मान्यताओं, सिद्धान्तों आदि का विरोधी हो। |
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प्रतिक्रोश :
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पुं० [सं० प्रति√क्रुश् (आह्वाण)+घञ्] बिक्री का वह प्रकार जिसमें प्रतिस्पर्धा ग्राहकों में से किसी चीज का बढ़-चढ़कर और सबसे अधिक मूल्य लगानेवाले ग्राहक के हाथ चीज बेची जाती है। नीलामी। (ऑक्शन) |
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प्रतिक्षय :
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पुं० [सं० प्रति√क्षि (ऐश्वर्य)+अच्] अंगरक्षक। |
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प्रतिक्षिप्त :
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भू० कृ० [सं० प्रति√क्षिप्] (प्रेरणा करना)+क्त] १. किसी के प्रति फेंका हुआ। २. जो अमान्य किया गया हो। ३. बलपूर्वक पीछे की ओर ढकेला या हटाया हुआ। (रिपल्सड) |
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प्रतिक्षेप :
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पुं० [सं० प्रति√क्षिप् (प्रेरित करना)+घञ्] १. बलपूर्वक पीछे की ओर फेंकना या हटाना। जैसे—आक्रमण करनेवाले शत्रु का प्रतिक्षेप। २. गृहीत, मान्य या स्वीकृत न करना। अग्राह्य, अमान्य या अस्वीकृत करना। ३. अपने अनुकूल न समझकर या अरुचिकर होने पर अलग या दूर करना अथवा हटाना। ४. किसी प्रकार के गुण, प्रकृति आदि का उत्कट विरोध होने के कारण एक तत्त्व या पदार्थ का दूसरे तत्त्व या पदार्थ को दूर हटाना। (रिपल्सन; उक्त सभी अर्थों में) ५. रोकना। ६. तिरस्कार। |
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प्रतिक्षेपण :
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पुं० [सं० प्रति√क्षिप्+ल्युट्—अन] प्रतिक्षेप करने की क्रिया या भाव। |
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