शब्द का अर्थ
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भाषांतर :
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पुं० [सं० भाषा-अंतर, मयू० स०] १. एक भाषा में लिखे हुए लेख का दूसरी भाषा में अनुवाद करना। २. इस प्रकार किया हुआ अनुवाद। |
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भाषांतरकार :
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पुं० [सं० भाषांतर√कृ (करना)+अण्] भाषांतर अर्थात् अनुवाद या उलथा करनेवाला। अनुवादक। |
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भाषांतर-सम :
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पुं० [सं० तृ० त०] एक प्रकार का शब्दालंकार (शब्दों की ऐसी योजना जिससे वाक्य कई भाषाओं का माना जा सके)। |
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भाषा :
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स्त्री० [सं०√भाष्+अ+टाप्] १. किसी विशिष्ट जनसमूह द्वारा अपने भाव, विचार आदि प्रकट करने के लिए प्रयोग में लाए जानेवाले शब्द तथा उनके संयोजन का एक व्यवस्थित क्रम। जबान बोली। २. दे० ‘बोली’। विशेष—साहित्कारों के अनुसार भाषा का क्षेत्र बोली की तुलना में बड़ा और विस्तृत होता है, और एक भाषा के अन्तर्गत अनेक बोलियाँ होती है। ३. वह अव्यक्त नाद जिससे पशु-पक्षी आदि अपने मनोविकार या भाव प्रकट करते हैं। जैसे—बंदरों की भाषा। ४. वह बोली जो वर्तमान समय में किसी देश में प्रचलित हो। ५. आधुनिक हिन्दी का पुराना नाम। ६. संगीत में एक प्रकार की रागिनी। ७. संगीत में एक प्रकार का ताल। ८. वाग्देवी। सरस्वती। ९. अभियोग पत्र। अरजी दावा। |
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भाषाई :
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वि० [हिं० भाषा+ई (प्रत्यय)] भाषा-सम्बन्धी। भाषा का। भाषिक जैसे—भाषाई आंदोलन। |
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भाषा-तत्त्व :
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पुं० [सं० ष० त०] भाषा विज्ञान। |
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भाषा-पत्र :
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पुं० [सं० ष० त०] १. वह पत्र जिसमें अपने कष्टों का निवेदन किया गया हो। २. अभियोग पत्र। अरजी दावा। |
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भाषा-वाद :
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पुं० [ष० त०] भाषा-पत्र। |
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भाषाबद्ध :
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भू० कृ० [सं० तृ० त०] १. (भाव या विचार) जो शब्दों में (बोल या लिखकर व्यक्त किया गया हो। २. देश भाषा में लिखा हुआ। |
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भाषा-विज्ञान :
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पुं० [सं० ष० त०] एक आधुनिक विज्ञान जिसमें भाषा की उत्पत्ति, विकास उसके शब्दों तथा उन शब्दों के अर्थों, ध्वनियों आदि का वैज्ञानिक ढंग से प्रतिपादन तथा विवेचन किया जाता है। (फिलोलोजी) |
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भाषाविद् :
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पुं० [सं० भाषा√विद् (जानना)+क्विप्] १. वह जो अपनी भाषा का ज्ञाता हो। २. वह जो अनेक भाषाओं का ज्ञाता हो। |
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भाषा-शास्त्र :
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पुं० [सं० ष० त०] व्याकरण। |
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भाषा-सम :
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पुं० [सं० स० त०] एक प्रकार का शब्दालंकार जिसमें शब्दों की योजना की जाती है जो कई भाषाओं के समान रूप से प्रयुक्त होते हैं। |
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भाषा-समिति :
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स्त्री० [सं० ष० त०] जैनियों के अनुसार एक प्रकार का आचार जिसके अन्तर्गत ऐसी बातचीत आती है जिससे सब लोग प्रसन्न और संतुष्ट हों। |
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