शब्द का अर्थ
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वज्रांग :
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पुं० [सं० वज्र-अंग, ब० स०] १. हनुमान। २. साँप। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
वज्रांगी :
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स्त्री० [सं० वज्रांग+ङीष्] १. कौडिल्ला (पक्षी) २. हड़जोड़ी नामक लता जिसकी पत्तियाँ बाँधने पर दरद दूर हो जाता है (वैद्यक)। |
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वज्रा :
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स्त्री० [सं०√वज्र (गति)+रक्-टाप्] १. दुर्गा। २. स्नही। थूहर। ३. गुड़च। |
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वज्राख्य :
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पुं० [सं० वज्र-आख्या, ब० स०] एक प्रकार का बहुमूल्य पत्थर। |
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वज्राघात :
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पुं० [सं० वज्र-आघात, ष० त०] १. आकाश से गिरनेवाली बिजली का आघात। २. बहुत ही कठोर तथा बड़ा आघात। ३. बिजली के तार आदि का स्पर्श होने पर लगनेवाला आघात। |
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वज्राचार्य :
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पुं० [सं० वज्र-आचार्य, ष० त०] नैपाली बौद्धों के अनुसार तान्त्रिक बौद्ध आचार्य जिसे तिब्बत में लामा कहते हैं। यह गृहस्थ होता है और अपनी स्त्री आदि के साथ बिहार में रह सकता है। |
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वज्राभ :
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पुं० [सं० वज्र-आभा, ब० स०] एक कीमती पत्थर। |
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वज्राभ :
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पुं० [सं०] काला अभ्रक। |
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वज्रायुध :
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पुं० [सं० वज्र-आयुध, ब० स०] इंद्र। |
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वज्रासन :
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पुं० [सं० वज्र-आसन, मध्य० स०] १. हठयोग के चौरासी आसनों में से एक जिसमें गुदा और लिंग के मध्य के स्थान को बाएँ पैर की एड़ी से दबाकर उसके ऊपर दाहिना पैर रखकर पलथी लगाकर बैठते हैं। २. गया में बोधिद्रुम के नीचेवाली वह शिला जिस पर बैठकर बुद्ध ने बुद्धत्व प्राप्त किया था। |
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