शब्द का अर्थ
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अंगी :
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(गिन्)- पुं० [सं० अंग+इनि] १. अंग या शरीरवाला। देहधारी। २. वह जिसके साथ और अंग भी लगे हुए हों। ३.समष्टि। ४.चौदह विद्याएँ। ५. नाटक का प्रधान नायक। ६. नाटक का प्रधान रस। वि० जिसने शरीर धारण किया हो। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
अंगीकरण :
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पुं० [सं० अंग√च्वि+कृ(करना)+ल्युट्-अन्] वि अंगीकार्य, भू० कृ० अंगीकृत अंगीकार करने की क्रिया या भाव। |
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अंगीकार :
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पुं० [सं० अंग+च्वि√ कृ+घञ वि० अंगीकार्या, भू० कृ० अंगीकृत] १. अपने अंग पर या अपने ऊपर लेने की क्रिया या भाव। ग्रहण करना। २. स्वीकार करना। |
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अंगीकार्य :
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वि० [सं० अंग+च्वि√कृ+घञ] [वि० अंगीकार्य, भू० कृ० अंगीकृत] १. अपने अंग या अपने ऊपर लेने की क्रिया या भाव। ग्रहण करना। २. जो अंगीकर किया जाने के को हो। |
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अंगीकृत :
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भू० कृ० [सं० अंग+च्वि√कृ+क्त] १. जिसका अंगीकरण हुआ हो। ग्रहण किया हुआ। २. स्वीकृत किया हुआ। ३. अपने ऊपर लिया हुआ। |
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अंगीकृति :
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स्त्री० [सं० अंग+च्वि√ कृ+क्तिन्]=अंगीकरण। |
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अँगीठ :
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पुं० अँगीठा। |
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अँगीठा :
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पुं० [सं० अग्नि] बड़ी अँगीठी। |
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अँगीठी :
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स्त्री० [सं० अग्निष्ठिका] मिट्टी, लोहे आदि का वह प्रसिद्ध पात्र जिसमें आग सुलगाते हैं। |
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अंगीय :
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वि० [सं० अंग+छ-ईय] अंग-सम्बन्धी। अंग का। |
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अंगीत पछीत :
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क्रि० वि० [सं० आग्रतः पश्चात्] १. आगे-पीछे। २. अगवाड़े-पिछवाड़े। पुं० आगे और पीछे के भाग।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) |
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