शब्द का अर्थ
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अनकंप :
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वि० [सं० अकम्प] १. जिसमें कंपन न हो। कंपन रहित। २. स्थिर। ३. दृढ़। पक्का। पुं० कंपन न होने की अवस्था। स्थिरता।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
अनक :
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वि० [सं० अणक] तुच्छ। कमीना। पुं०=आनक।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) |
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अनकदुंदंभ :
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पुं० [सं० ] कृष्ण के पितामह का नाम। |
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अनकना :
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स० [सं० आकर्ण, प्रा० आकणन, हिं० अकनना] १. सुनना। २. चुपचाप या छिपकर सुनना। (यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) |
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अनक्ररीद :
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क्रि० वि० [अ०] १. करीब-करीब। लगभग। २. जल्द। शीघ्र। ३. नजदीक। पास। ४. प्रायः। |
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अनकस्मात् :
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अव्य० [सं० न-अकस्मात् न० त०] जो अकस्मात् अचानक, या अकारण न हो। |
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अनकहा :
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वि० [सं० अन्=नहीं+कथ्=कहना] १. (भाव या विचार) जो कहा न गया हो। बिना कहा हुआ। २. (व्यक्ति) जो कहना न मानता हो। बे-कहा। |
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अनकही :
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वि० [हिं० अनकहा] १. जो पहले कभी न कही गयी हो। मुहावरा—अनकही देना=चुपचाप रहना। २. (बात) न कहने योग्य। फलतः अनुचित या अश्लील। |
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अनक्रा :
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पुं० दे० ‘उनका’। |
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अनकाढ़ा :
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वि० [हिं० अन (उप०) +काढ़ना=निकालना] जो निकाला न गया हो। |
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अनक्ष :
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वि० [सं० न०-अक्ष, न० ब०] १. अक्ष-रहित। २. अंधा। नेत्रहीन। |
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अनक्षर :
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वि० [सं० न०-अक्षर, न० ब०] १. जो कहने योग्य न हो। जिसे अक्षरों का ज्ञान न हो। निरक्षर। ३. मूर्ख। ४. गूंगा। पुं० गाली। दुर्वचन। |
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अनक्षिक :
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वि० [सं० न०-अक्षि, न० ब० कप्]=अनक्ष। |
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