शब्द का अर्थ
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ईश :
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पुं० [सं०√ईश्(ऐश्वर्य)+क] १. प्रभु। मालिक। स्वामी। २. ईश्वर। ३. राजा। ४. पति। स्वामी। ५. रूद्र। ६. ग्यारह की संख्या (ग्यारह रूद्र होते हैं) ७. आर्द्रा नक्षत्र। ८. पारा। ९. ईशोपनिषद्। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
ईशता :
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स्त्री० [सं० ईश+तल्-टाप्] १. ईश होने की अवस्था या भाव। २. प्रभुत्व। स्वामित्व। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
ईशन :
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पुं०=ईशान।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
ईशा :
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स्त्री० [सं०√ईश्+अ-टाप्] १. ऐश्वर्य। २. ऐश्वर्यशालिनी स्त्री। ३. दुर्गा। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
ईशान :
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पुं० [सं०√ईश्+चानश्] [स्त्री०ईशानी] १. अधिपति। स्वामी। २. ईश्वर। ३. महादेव। शिव। ४. ग्यारह रूद्रों में से एक। ५. ग्यारह की संख्या। ६. शिव की आठ मूर्तियों में से एक। ७. पूरब और उत्तर के बीच का कोना। ८. आर्द्रा नक्षत्र। ९. ज्योति। १0 शमी वृक्ष। वि० १. शासन करनेवाला। २. ऐश्वर्ययुक्त। ३..धनी। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
ईशानी :
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स्त्री० [सं० ईशान+ङीष्] १. दुर्गा। २. शाल्मली वृक्ष। सेमल का पेड़। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
ईशिता :
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स्त्री० [सं० ईशिन्+तल्-टाप्] १. महत्ता। श्रेष्ठता। २. आठ प्रकार की सिद्धियों में से एक जिसे प्राप्त करने पर साधक सब पर शासन करने के योग्य हो सकता है। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
ईशित्व :
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पुं० [सं० ईशिन्+त्व]=ईशिता। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
ईश्वर :
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पुं० [सं० ईश्+वरच्] १. परम पुरुष या परमात्मा के रूप में पूजी जानेवाली वह सर्वप्रधान सत्ता जो सारे ब्रह्माण्ड, विश्व या सृष्टि मात्र को बनाने-बिगाड़ने और उसका नियंत्रण तथा शासन करनेवाली मानी गई है। परमात्मा। भगवान। विशेष-हमारे यहाँ दर्शनों में इसे निराकार, निर्गुण, सर्वव्यापी और सब कर्मों, क्लेशों आदि से निर्लिप्त, पृथक् और रहित माना गया है। पर उपासना, कर्म-काण्ड आदि के क्षेत्रों में इसके सगुण और साकार रूपों की भी कल्पना की गई है। २. आत्मा। ३. शिव। ४. पारा। ५. पीतल। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
ईश्वर-प्रणिधान :
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पुं० [सं० ष० त०] योगशास्त्र में, पाँच प्रणिधानों में से एक जिसमें मनुष्य ईश्वर पर पूर्ण श्रद्धा रखता हुआ अपने आप को सब प्रकार से उसके चरणों में अर्पित कर देता है। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
ईश्वर-वाद :
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पुं० [सं० ष० त०] ईश्वर की सत्ता और कर्त्तृत्व शक्ति पर पूरा विश्वास रखने का सिद्धांत। (डीइज्म)। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
ईश्वरवादी (दिन्) :
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वि० [सं० ईश्वरवाद+इनि] ईश्वरवाद का अनुयायी या समर्थक। (डीइस्ट)। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
ईश्वरा :
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स्त्री० [सं० ईश्वर+टाप्] १. दुर्गा। २. लक्ष्मी। ३. शक्ति। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
ईश्वराधीन :
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वि० [सं० ईश्वर-अधीन, ष० त०] ईश्वर के अधिकार में रहने या उसकी इच्छा के अनुसार होनेवाला। जैसे—भाग्य और सफलता तो ईश्वराधीन है। |
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समानार्थी शब्द-
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ईश्वरी :
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स्त्री० [सं० ईश्वर+ङीष्] १. दुर्गा। २. लक्ष्मी। ३. शक्ति। ४० लिंगिनी, बंध्या, कर्कटी, क्षुद्रजटा, नाकुली आदि पौधे। वि०=ईश्वरीय। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
ईश्वरीय :
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वि० [सं० ईश्वर+छ-ईय] १. ईश्वर-संबंधी। ईश्वर का। २. ईश्वर की ओर से होनेवाला। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
ईश्वरोपासना :
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स्त्री० [सं० ईश्वर-उपासना, ष० त०] ईश्वर या परमात्मा की उपासना, ध्यान, भजन आदि। |
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ईश :
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पुं० [सं०√ईश्(ऐश्वर्य)+क] १. प्रभु। मालिक। स्वामी। २. ईश्वर। ३. राजा। ४. पति। स्वामी। ५. रूद्र। ६. ग्यारह की संख्या (ग्यारह रूद्र होते हैं) ७. आर्द्रा नक्षत्र। ८. पारा। ९. ईशोपनिषद्। |
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ईशता :
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स्त्री० [सं० ईश+तल्-टाप्] १. ईश होने की अवस्था या भाव। २. प्रभुत्व। स्वामित्व। |
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ईशन :
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पुं०=ईशान।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) |
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ईशा :
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स्त्री० [सं०√ईश्+अ-टाप्] १. ऐश्वर्य। २. ऐश्वर्यशालिनी स्त्री। ३. दुर्गा। |
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ईशान :
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पुं० [सं०√ईश्+चानश्] [स्त्री०ईशानी] १. अधिपति। स्वामी। २. ईश्वर। ३. महादेव। शिव। ४. ग्यारह रूद्रों में से एक। ५. ग्यारह की संख्या। ६. शिव की आठ मूर्तियों में से एक। ७. पूरब और उत्तर के बीच का कोना। ८. आर्द्रा नक्षत्र। ९. ज्योति। १0 शमी वृक्ष। वि० १. शासन करनेवाला। २. ऐश्वर्ययुक्त। ३..धनी। |
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ईशानी :
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स्त्री० [सं० ईशान+ङीष्] १. दुर्गा। २. शाल्मली वृक्ष। सेमल का पेड़। |
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ईशिता :
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स्त्री० [सं० ईशिन्+तल्-टाप्] १. महत्ता। श्रेष्ठता। २. आठ प्रकार की सिद्धियों में से एक जिसे प्राप्त करने पर साधक सब पर शासन करने के योग्य हो सकता है। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
ईशित्व :
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पुं० [सं० ईशिन्+त्व]=ईशिता। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
ईश्वर :
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पुं० [सं० ईश्+वरच्] १. परम पुरुष या परमात्मा के रूप में पूजी जानेवाली वह सर्वप्रधान सत्ता जो सारे ब्रह्माण्ड, विश्व या सृष्टि मात्र को बनाने-बिगाड़ने और उसका नियंत्रण तथा शासन करनेवाली मानी गई है। परमात्मा। भगवान। विशेष-हमारे यहाँ दर्शनों में इसे निराकार, निर्गुण, सर्वव्यापी और सब कर्मों, क्लेशों आदि से निर्लिप्त, पृथक् और रहित माना गया है। पर उपासना, कर्म-काण्ड आदि के क्षेत्रों में इसके सगुण और साकार रूपों की भी कल्पना की गई है। २. आत्मा। ३. शिव। ४. पारा। ५. पीतल। |
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उपलब्ध नहीं |
ईश्वर-प्रणिधान :
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पुं० [सं० ष० त०] योगशास्त्र में, पाँच प्रणिधानों में से एक जिसमें मनुष्य ईश्वर पर पूर्ण श्रद्धा रखता हुआ अपने आप को सब प्रकार से उसके चरणों में अर्पित कर देता है। |
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उपलब्ध नहीं |
ईश्वर-वाद :
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पुं० [सं० ष० त०] ईश्वर की सत्ता और कर्त्तृत्व शक्ति पर पूरा विश्वास रखने का सिद्धांत। (डीइज्म)। |
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ईश्वरवादी (दिन्) :
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वि० [सं० ईश्वरवाद+इनि] ईश्वरवाद का अनुयायी या समर्थक। (डीइस्ट)। |
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ईश्वरा :
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स्त्री० [सं० ईश्वर+टाप्] १. दुर्गा। २. लक्ष्मी। ३. शक्ति। |
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ईश्वराधीन :
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वि० [सं० ईश्वर-अधीन, ष० त०] ईश्वर के अधिकार में रहने या उसकी इच्छा के अनुसार होनेवाला। जैसे—भाग्य और सफलता तो ईश्वराधीन है। |
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उपलब्ध नहीं |
ईश्वरी :
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स्त्री० [सं० ईश्वर+ङीष्] १. दुर्गा। २. लक्ष्मी। ३. शक्ति। ४० लिंगिनी, बंध्या, कर्कटी, क्षुद्रजटा, नाकुली आदि पौधे। वि०=ईश्वरीय। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
ईश्वरीय :
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वि० [सं० ईश्वर+छ-ईय] १. ईश्वर-संबंधी। ईश्वर का। २. ईश्वर की ओर से होनेवाला। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
ईश्वरोपासना :
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स्त्री० [सं० ईश्वर-उपासना, ष० त०] ईश्वर या परमात्मा की उपासना, ध्यान, भजन आदि। |
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समानार्थी शब्द-
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