शब्द का अर्थ
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घूर :
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पुं० [सं० कूट] १. कूड़े-करकट का ढेर। २. वह स्थान जहाँ पर उक्त ढेर लगा हो। ३. पोले गहने को भारी करने के लिए उसके अन्दर भरा हुआ बालू, सुहागा आदि। (सुनार) |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
घूरघार :
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स्त्री०=घूरा-घारी। |
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घूरना :
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अ० [सं० घूर्णन] इस प्रकार आँखें निकालकर क्रोधपूर्वक किसी की ओर देखना जिससे वह कोई कार्य करने या न करने को विवश होता हो। जैसे–पिता जी के घूरते ही लड़के घर चले आये। |
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घूरा-घारी :
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स्त्री० [हिं० घूरना+अनु०] १. घूरने की क्रिया या भाव। २. एक दूसरे के ओर देखने अथवा नजर मिलाने का कार्य। |
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घूर्ण :
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पुं० [सं०√घूर्ण (चक्कर काटना)+घञ्] १. इधर-उधर घूमना। २. किसी वस्तु को चारों ओर घूमना। वि० घूमता हुआ। |
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घूर्णन :
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पुं० [सं०√घूर्ण+ल्युट-अन] घूमने या चक्कर लगाने की क्रिया या भाव। |
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घूर्णिका :
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स्त्री० [सं०√घूर्ण+ण्वुल्-अक,टाप्,इत्व] एक प्रकार का वैज्ञानिक यंत्र जिसकी सहायता से घूमने या चक्कर लगाने वाले पदार्थों या पिंडों के बल, वेग आदि मापे जाते हैं। (जाइरोस्टेड) |
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घूर्णित :
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वि० [सं०√घूर्ण+क्त] घूमा, घूमता या घुमाया हुआ। |
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घूर्णी (र्णिन्) :
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वि० [सं० घूर्ण+इनि] घूमनेवाला। |
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घूर्ण्य :
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वि० [सं०√घूर्ण+ण्यत्] १. जो घूम सकता या घुमाया जा सकता हो। २. घूमता हुआ। |
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