शब्द का अर्थ
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चैत्र :
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पुं० [सं०√चि(चयन)+ष्ट्रन्+अण्] १. वह महीना जिसकी पूर्णिमा को चित्रा नक्षत्र पड़े। चैत। २. पुराणानुसार चित्रा नक्षत्र के गर्भ से उत्पन्न बुधग्रह का एक पुत्र जो सातों द्वीपों का स्वामी कहा गया है। ३. पुराणानुसार सात वर्ष पर्वतों में से एक। ४. चैत्य। ५. बौद्ध। भिक्षु। ६.यज्ञ-भूमि। ७. देवालय। मंदिर। वि० चित्रा नक्षत्र संबंधी चित्रा नक्षत्र का। |
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चैत्रक :
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पुं० [सं० चैत्र+कन्] चैत मास। चैत। |
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चैत्र-गौड़ी :
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स्त्री० [मध्य० स०] ओड़व जाति की एक रागिनी जो चैत्र मास में संध्या समय अथवा रात के पहले पहर में गाई जाती है। कुछ लोग इसे श्रीराग की पुत्र वधू मानते हैं। |
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चैत्र-मख :
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पुं० [ष० त०] चैत मास के उत्सव जो प्रायः मदन संबंधी होते हैं। |
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चैत्र-रथ्य :
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पुं० [सं० चैत्ररथ+ष्यञ्] =चैत्ररथ। |
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चैत्रवती :
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स्त्री० [सं० चैत्र+मनुप्–ङीष्, तत्व] एक पौराणिक नदी। (हरिवंश पुराण) |
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चैत्रसखा :
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पुं० [ष० त०] कामदेव। |
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चैत्रावली :
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स्त्री० [सं० चैत्र-आ√वृ (वरण करना)+णिच्+अच्–ङीष्, लत्व] १. चैत्र शुक्ला त्रयोदशी। २. चैत्र मास की पूर्णिमा। |
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चैत्रि :
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पुं० [चैत्री+इञ्] चैत मास। चैत्र। |
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चैत्रिक :
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पुं० [चैत्र+ठक्-इक] चैत्र। चैत। |
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चैत्री :
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स्त्री [सं० चित्रा+अण्–ङीष्] चैत मास की पूर्णिमा। |
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