शब्द का अर्थ
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टिक :
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स्त्री० [अनु०] किसी यंत्र विशेषतः घड़ी के चलने से होनेवाला शब्द। टिकटिक। पुं० आटे आदि का टिक्कर या लिट्टी नाम का पकवान। |
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समानार्थी शब्द-
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टिकई :
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वि० [हिं० टीका०] जिसमें या जिस पर टीका लगा हुआ हो अथवा टीके के आकार के चिन्ह बने हुए हों। स्त्री० वह गाय जिसके माथे पर दूसरे रंग के ऐसे बाल होते हैं जो लगाये हुए टीके की तरह जान पडते हैं। |
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समानार्थी शब्द-
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टिकट :
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पुं० [अं०] कागज, दफ्ती आदि का कुछ विशिष्ट चिन्ह्रों से युक्त वह छोटा टुकड़ा जो कुछ निश्चित मूल्य पर बिकता और खरीदने वाले को कोई विशिष्ट कार्य करने, कहीं आने-जाने या कुछ भेजने-मँगाने आदि का अधिकारी बनाया जाता है अथवा इस बात का प्रमाण-पत्र होता है कि खरीदने-वाले ने देन चुकाकर कोई काम करने का अधिकार प्राप्त कर लिया है। जैसे–डाक, रेल या सिनेमा का टिकट। पुं० दे० ‘टैक्स’।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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टिकट-घर :
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पुं० [अं० +हिं०] वह स्थान जहाँ कुछ विशिष्ट कार्यों के लिए टिकट बिकते हों। जैसे–रेलवे या सिनेमा का टिकट घर। |
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टिकटिक :
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स्त्री० [अनु०] १. घोड़े, बैल आदि हाँकने के लिए किया जानेवाला टिकटिक शब्द। २. घड़ी के चलते रहने की दशा में उसमें होनेवाला शब्द। |
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टिकटिकी :
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स्त्री० [अनु०] १. भूरापन लिये लाल रंग का एक प्रकार की चिड़िया। २. दे० ‘टिकठी’। |
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टिकठी :
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स्त्री० [सं० चित्रकाष्ठ, या हिंतीन+काठ०] १. मध्ययुग में लकड़ियों का वह ढाँचा जिसमें अपराधियों के हाथ-पैर उन्हें मारने-पीटने के समय बाँध या जकड़ दिये जाते थे। २. उक्त प्रकार का वह छोटा चौखटा या ढाँचा जिसमें फाँसी पाने वाले अपराधियों को खड़ा करके उनके गले में फाँसी का पंदा लगाया जाता है। ३. मृत शरीर या शव का श्मशान तक ले जाने के लिए बनाया जानेवाला बाँसों, लकड़ियों आदि का ढाँचा। अरथी। ४. जुलाहों का वह ढाँचा जिस पर वे कलफ या माँडी़ लगाने के लिए कपड़ा फैलाते हैं। ५. दे० ‘तिपाई’। |
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टिकड़ा :
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पुं० [हिं० टिकिया] [स्त्री० अल्पा० टिकड़ी] १. किसी जीव का छोटा विशेषतः चिपटा गोल टुकड़ा। २. गले में पहने जानेवाले आभूषणों में लटकता रहनेवाला धातु का वह गोल खंड जिसमें नग आदि जड़े रहते हैं। ३. जड़ाऊ गहनों में बना हुआ उक्त प्रकार का विभाग। ४. आँच पर सेंककर पकाई हुई छोटी चिपटी मोटी रोटी। क्रि० प्र०–लगाना। ५. प्रसूता, स्त्रियों को खिलाई जानेवाली वह रोटी जिसके आटे में अजवाइन, सोंठ आदि मसाले मिले रहते हैं। |
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टिकड़ी :
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स्त्री० [हिं० टिकड़ा] आँच पर सेंककर पकाई हुई छोटी चिपटी रोटी। टिकड़ा। |
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टिकना :
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अ० [सं० टिक] १. किसी आधार पर ठीक प्रकार से खड़ा या स्थित होना। जैसे–(क) चौकी पर मोमबत्ती का टिकना। (ख) छड़ी की नोक पर तश्तरी का टिकना। २. यात्रा के समय विश्राम के लिए बीच में कहीं ठहरना या रुकना। जैसे–धर्मशाला में यात्रियों का टिकना। ३. प्रवास में किसी के यहाँ अतिथि के रूप में ठहरना। ४. कुछ समय के लिए अस्तित्व में बने रहना। जैसे–प्रथा का टिकना। ५. किसी चीज का ठीक या प्रसम स्थिति में बने रहना फलतः दूषित या विकृत न होना। जैसे–(क) गरमी की अपेक्षा सरदी में पकाई या पकी हुई चीजें अधिक टिकती हैं। (ख) यह कपड़ा या जूता अधिक टिकेगा। ६. (ध्यान आदि के संबंध में) केंद्रित होना। जैसे–ध्यान टिकना। ७. किसी धुली हुई वस्तु का नीचे बैठना। तल में जमना। |
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टिकरी :
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स्त्री० [हिं० टिकिया] १. एक नमकीन पकवान जो बेसन और मैदे की टिकियों को एक में बेलकर और घी में तलकर बनाया जाता है। २. टिकिया। ३. सिर पर पहनने का एक प्रकार का गहना। ४. हलके काले या मटमैले रंग का एक प्रकार का बड़ा जल-पक्षी। स्त्री०=टोकरी (छोटा टीला)।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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टिकली :
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स्त्री० [हिं० टीका] १. काँच पन्नी आदि का छोटा टुकड़ा जिसे स्त्रियाँ माथे पर लगाती हैं। २. टीका नामक आभूषण। स्त्री० [हिं० टिकिया] छोटी टिकिया। स्त्री०–तकली। |
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टिकसा :
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पुं० १.=टिकट। २.=टैक्स। (कर)।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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टिकसार :
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वि०=टिकाऊ।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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टिका :
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पुं०=टीका।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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टिकाई :
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पुं०=टिकैत।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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टिकाऊ :
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वि० [हिं० टिकना] (चीज) जो अधिक समय तक टिके अर्थात् उपयोग या व्यवहार में आती रहे या आ सके। जैसे–टिकाऊ कपड़ा। |
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टिकान :
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स्त्री० [हिं० टिकना] १. टिकने की अवस्था क्रिया या भाव। २. वह स्थान जहाँ पर कोई टिके या बराबर टिकता हो। ३. दे० ‘टेकान’। |
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टिकाना :
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स० [हिं० टिकना] १. किसी आधार पर किसी चीज का खड़ा करना या ठहराना। टिकने में प्रवृत्त करना। २. किसी के टिकने अर्थात् कुछ समय तक ठहरने या रहने की व्यवस्था करना। ३. किसी को कहीं टिकने या रहने देना। जैसे–बरात धर्मशाला में टिकाई जायगी। ४. किसी को अपने यहाँ अतिथि रूप में ठहराना या रखना। ५. सहारे पर खड़ा करना। ६. सहारा देना। ७. चुप-चाप या धीरे-से किसी के हाथ में कोई चीज दे देना। (दलाल) |
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टिकानी :
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स्त्री० [हिं० टिकाना] छकड़ा गाडी की वे दोनों लकड़ियाँ जिनमें रस्सी से पैजनी बँधी होती है। |
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टिकाव :
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पुं० [हिं० टिकना] १. टिके हुए होने की अवस्था या भाव। २. स्थिरता। ३. टिकाने का स्थान। ४. पड़ाव। |
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टिकिया :
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स्त्री० [सं० वटिका] १. कोई गोलाकार चिपटी कड़ी तथा छोटी वस्तु। जैसे–दवा या स्याही की टिकिया। २. कोयले की बुकनी से बना हुआ वह गोल टुकड़ा जिसे सुलगाकर तमाखू पीते हैं। ३. उक्त आकार की एक मिठाई। ४. बाटी। लिट्टी। ५. बरतन के साँचे का ऊपरी भाग जिसका सिरा बाहर निकला रहता है। स्त्री० [हिं० टीका] १. माथा। ललाट। २. माथे परलगी हुई बिंदी। ३.=टिक्की। |
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टिकुरा :
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पुं० [देश०] टीला। भींटा। पुं०=टिकड़ा।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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टिकुरी :
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स्त्री०=टिकली (तकली) स्त्री०=दे० ‘निसोथ’।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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टिकुला :
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पुं० [स्त्री० टिकुली]=टीका (माथे पर का)। पुं०=टिकोरा (छोटा कच्चा आम)।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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टिकुली :
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स्त्री=टिकली।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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टिकुवा :
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पुं०=टेकुआ (तकला)।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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टिकैत :
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पुं० [हिं० टीका+ऐत (प्रत्यय)] १. राजा का वह पुत्र जो उसके बाद राजतिलक का अधिकरी हो। राजा का उत्तराधिकारी कुमार। युवराज। २. अधिष्ठाता। ३. जिसके मस्तक पर नेतृत्व का तिलक लगाया गया हो, अर्थात् सरदार। |
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टिकोर :
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स्त्री०=टकोर।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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टिकोरा :
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पुं० [हिं० टिकिया] आम का कच्चा छोटा फल।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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टिकोला :
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पुं=टिकोरा।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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टिक्क :
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पुं० [हिं० टिकिया] १. बड़ी टिकिया। २. आग पर सेंकी हुई मोटी रोटी।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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टिक्का :
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पुं० १.=टिकड़ा। २.=टीका। ३.=टिकैत (पश्चिम)। पुं० [देश०] मूँगफली की फसल में होनेवाला एक रोग। |
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टिक्की :
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स्त्री० [हिं० टिकिया] १. छोटी टिकिया। २. छोटी पूरी या रोटी। ३. ताश के पत्ते पर की बूटी। बुँदकी। ४. संकेत आदि के लिए किसी रंग की वह बिंदी जो उंगली के पोर से लगाई जाती है। |
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