शब्द का अर्थ
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टेकान :
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स्त्री० [हिं० टेकना] १. टेकने या टेके जाने की अवस्था या भाव। २. वह चीज जो किसी दूसरी चीज के साथ उसे सहारा देने के लिए लगाई जाती है। टेक। चाँड़। ३. वह ऊंचा चबूतरा जहाँ बोझ ढोने वाले मजदूर बोझ रखकर थोड़ी देर के लिए सुस्ताते हैं। ४. वह स्थान जहाँ से जुआरियों को जूए के अडडे का पता मिलता है। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
टेकाना :
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स० [हिं० टेकना का स०] १. किसी चीज का सहारा देने के लिए उसके साथ कोई दूसरी चीज खड़ी करना या लगाना। २. किसी भारी चीज का कुछ अंश किसी आधार पर स्थित करना। ३. चुपचाप या धीरे से कोई चीज किसी को धमाना या देना (दलाल)। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
टेकानी :
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स्त्री० [हिं० टेकाना] १. वह चीज जो किसी को गिरने से रोकने के लिए उसके नीचे या बगल में लगाई जाय। टेक। २. बैलगाड़ी का जूआ। ३. वह कील जो पहिये को धुरे में पहनाने पर इसलिए जड़ी जाती है कि वह बाहर निकलक गिर न जाय। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |