शब्द का अर्थ
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टोक :
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स्त्री० [सं० स्तोक या हिं० टोकना] १. टोकने की क्रिया या भाव। २. वह प्रश्नात्मक छोटी बात जो किसी को कुछ करने या कहने से टोक या रोककर बीच में कही या पूछी जाती है। साधारणतः ऐसी बात कुछ बाधक या विघ्नकारक समझी जाती है मुहावरा–किसी की टोक में आना=किसी के टोकने पर उसके अनिष्टकारक प्रभाव में पड़ना। टोक लगना=किसी के बीच में टोकने पर उसका कुछ अनिष्टकारक या विघ्नकारक प्रभाव पड़ना। जैसे–(क) तुम्हारी टोक लग गई, इसी से वहाँ जाने पर हमारा काम नहीं हुआ। (ख) बच्चे को किसी की टोक लगी है, इसी से वह बीमार हो गया। पद–टोक-टाक=किसी को कोई काम करते देखकर उसके संबंध में किये जानेवाले छोटे-छोटे प्रश्न जो साधारणतः लोक में उस काम के लिए बाधक लक्षण या अपशकुन समझे जाते हैं। ३. बुरी दृष्टि का प्रभाव। नजर। पुं=टोका (सिरा)।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
टोकना :
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स० [हिं० टोक+ना (प्रत्यय)] १. वक्ता के बोलते समय बीच में ही श्रोता का उसे कोई बात कहने से रोकना अथवा किसी बात के संबंध में अपनी शंका प्रकट करना। विशेष–साधारणतः लोक में इस प्रकार के प्रश्न अपशकुन के रूप में माने जाते हैं। २. किसी को कोई काम करते देखकर अथवा कोई काम करने के लिए प्रस्तुत देखकर उसे वह काम न करने के लिए अथवा उसे ठीक तरह से करने के लिए कहना। ३. लड़ने आदि के लिए आह्वान करना। पुं० [?] [स्त्री० अल्पा० टोकनी] १. टोकरा। २. एक प्रकार का हंडा। |
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टोकनी :
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स्त्री० [हिं० टोकना] १. पानी रखने का चौड़े मुँह का एक प्रकार का बड़ा बरतन। २. बड़ी देगची या बटलोई। स्त्री०=टोकरी।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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टोकरा :
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स्त्री० [?] [स्त्री० अल्पा० टोकरी] बाँस की खमाचियों या तीलियों अथवा बेंच सरकंडे आदि का बना हुआ खुले तथा चौड़े मुँहवाला बड़ा आधान। खाँचा। झाबा। |
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समानार्थी शब्द-
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टोकरिया :
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स्त्री० [हिं० टोकरा का स्त्री० अल्पा० रूप] टोकरी।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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टोकरी :
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स्त्री० [हिं० टोकरा का स्त्री० अल्पा० रूप] छोटा टोकरा। स्त्री०=टोकनी। |
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टोकवा :
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पुं० [देश०] उत्पाती या उपद्रवी लड़का।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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टोकसी :
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स्त्री० [देश०] नारियल की आधी खोपड़ी।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) पुं० [देश०] एक तरह का कीड़ा जो उर्द की फसल को हानि पहुँचाता है। |
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टोका :
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पुं० [हिं० टूक] १. किसी चीज का किनारा या सिरा। जैसे–डोरे या धागे का टोका। २. कपड़े आदि का कोना या पल्ला। ३. नोक। ४. स्थल का वह भाग जो कुछ दूर तक जल में चला गया हो। पुं० [हिं० टूक] १. चारा काटने का गँडासा नामक उपकरण। (पश्चिम) २. चारा काटने की कल या यंत्र। |
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टोकारा :
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पुं० [हिं० टोक] १. वह बात जो किसी को टोकने अथवा टोक कर कुछ याद दिलाने या सचेत करने के लिए कही जाय। २. उक्त उद्देश्य से किया जानेवाला कोई संकेत। उदाहरण–उसने उंगली से उसके गाल पर टोकारा दिया।–नागार्जुन। क्रि० प्र०–देना। |
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