शब्द का अर्थ
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तंडु :
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पुं० [सं०√तंड्+उन्] महादेव जी के नंदिकेश्वर। |
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समानार्थी शब्द-
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तंडुरण :
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पुं० [सं०] १. चावल का पानी। २. कीड़ा-मकोड़ा। |
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तंडुरोण :
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पुं० [सं० तंडा+उरच्+ख-ईन] १. चावल की धोवन। २. छोटे-मोटे कीड़े या पतिंगे। ३. बर्बर व्यक्ति। ४. वज्र मूर्ख। |
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तंडुल :
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पुं० [सं०√तंड्+उलच्] १. चावल। २. बायविडंग। ३. चौलाई का साग। ४. हीरे की एक पुरानी तौल जो सरसों के बराबर होती थी। |
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तंडुल-जल :
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पुं० [मध्य० स०] वह पानी जिसमें चावल भिगोया अथवा पकाया गया हो। वैद्यक में यह बल-वर्द्धक तथा सहज में पचनेवाला माना जाता है। |
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तंडुलांबु :
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पुं० [सं० तंडुल-अंबु, मध्य० स०] १. तंडुल-जल। २. पके हुए चावल की माँड। पीच। |
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तंडुला :
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स्त्री० [सं०√तंड्+उलच्-टाप्] १. बायबिंडग। २. ककही या कंघी नाम का पौधा। |
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तंडुलिया :
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स्त्री० [सं० तडुली] चौलाई (साग)। |
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तंडुली :
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स्त्री० [सं० तंडुल+ङीष्] १. एक प्रकार की ककड़ी। २. चौलाई का साग। ३. यव-तिक्ता लता। |
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तंडुलीक :
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पुं० [सं० तंडुली√कै (प्रतीत होना)+क] चौलाई का साग। |
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तंडुलीय :
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पुं० [सं० तंडुल+छ-ईय] चौलाई का साग। वि० तंडुल संबंधी। |
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तंडुलीयक :
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स्त्री० [सं० तंडुलीय+क(स्वार्थ)] १. बायबिंडग। २. चौलाई का साग। |
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तंडुलीयिका :
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स्त्री० [सं० तंडुलीय+कन्-टाप्, इत्व] बायबिंडग। |
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तंडुलु :
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पुं० [सं०=तंडुल; पृषो० उत्व] बायबिडंग। |
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तंडुलेर(रक) :
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पुं० [सं० तंडुल+ढ-एय]=चौलाई का साग। |
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तंडुलोत्थ :
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पुं० [सं० तंडुल-उद√स्था (ठहरना)+क]=तंडुल-जल। |
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तंडुलोदक :
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पुं० [सं० तंडुल-उदक, ष० त०]=तंडुल-जल। |
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तंडुलौव :
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पुं० [सं० तंडुल-ओध, ष० त०] एक प्रकार का बाँस। |
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