शब्द का अर्थ
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तुच्छ :
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वि० [सं०√तुद् (पीड़ित करना)+किव्प, तुद्√छो (काटना+क] [भाव० तुच्छता] १. जो अंदर से खाली हो। खोखला। २. जिसमें कोई सत्व या सार न हो। निःसार। ३. जिसका कुछ भी महत्व, मान या मूल्य न हो। क्षुद्र। हीन। ४. अल्प। थोड़ा। पुं० १. अन्न के ऊपर का छिलका भूसी। २. तूतिया। ३. नील का पौधा। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
तुच्छक :
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पुं० [सं० तुच्छ√कै (मालूम पड़ना)+क] एक तरह का काले और हरे रंग का मरकत जो घटिया माना जाता है। |
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तुच्छता :
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स्त्री० [सं० तुच्छ+तल्-टाप्] तुच्छ होने की अवस्था या भाव। |
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तुच्छत्व :
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पुं० [सं० तुच्छ+त्व] तुच्छता। |
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तुच्छद्रु :
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पुं० [कर्म० स०] रेंड़ का पेड़। |
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तुच्छाधान्यक :
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पुं० [कर्म० स०] भूसी। तुस। |
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तुच्छा :
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स्त्री० [सं० तुच्छ+टाप्] १. नील का पौधा। २. छोटी इलायची। ३. नीला थोथा। तूतिया। |
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तुच्छातितुच्छ :
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वि० [तुच्छ-अतितुच्छ स० त०] तुच्छों में भी तुच्छ। अत्यन्त तुच्छ। |
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तुच्छार्थक :
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वि० [सं० तुच्छ-अर्थ, ब० स० कप्] (शब्द का वह) विकृत रूप जो वस्तु या व्यक्ति के वाचक शब्द की तुलना में तुच्छता सूचित करनेवाला हो। तुच्छता के भाव से युक्त अर्थ देने या रखनेवाला। (डिमिन्यूटिव) जैसे–बात का तुच्छार्थक बतोला घोडा का तुच्छार्थक ‘घोड़वा’। |
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