शब्द का अर्थ
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पाना :
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स० [सं० प्रायण, प्रा० पायण, पुं० हिं० पावना] १. ऐसी स्थिति में आना या होना कि कोई चीज अपने अधिकार, वश या हाथ में आवे या हो जाय। कोई चीज या बात प्राप्त करना। हासिल करना। जैसे—(क) तुमने ईश्वर के घर से अच्छा भाग्य पाया है। (ख) उन्होंने अपने पूर्वजों से अच्छी सम्पत्ति पाई थी। २. ऐसी स्थिति में आना या होना कि किसी की दी या भेजी हुई चीज या और कुछ अपने तक पहुँच या मिल जाय। जैसे—(क) किसी का पत्र, संदेशा या समाचार पाना। (ख) पदक या पुरस्कार पाना। ३. आकस्मिक रूप से या अपने प्रयत्न के फलस्वरूप कुछ प्राप्त या हस्तगत करना। जैसे—(क) कल मैंने सड़क पर पड़ा हुआ एक बटुआ पाया था। (ख) यह पुस्तक मैंने बहुत कठिनता से पायी थी। ४. ऐसी स्थिति में आना या होना कि किसी चीज तक हाथ पहुँच सके। उदा०—मैं बालक बहिंयन को छोटो छींका केहि बिधि पायो।—सूर। ५. किसी प्रकार के ज्ञान, परिचय आदि की मानसिक उपलब्धि करना। जैसे—(क) मैंने उन्हें बहुत ही चतुर और योग्य पाया। (ख) विदेश में रहकर उन्होंने अच्छी शिक्षा पाई थी। ६. गूढ़ तत्त्व, भेद, रहस्य आदि की गहनता, विस्तार सीमा आदि का ज्ञान या परिचय प्राप्त करना। जानकारी हासिल करना। जैसे—(क) किसी के पांडित्य की थाह पाना। (ख) चोरी या चोरों का पता पाना। ७. अचानक सामना होने या सामने पहुँचने पर किसी को किसी विशिष्ट स्थिति में देखना। जैसे—(क) मैंने लड़कों को गली में खेलते हुए पाया। (ख) उसने अपना खेत (या घर) उजड़ा हुआ पाया। ८. किसी प्रकार के परिणाम या फल के रूप में अधिकारी या भोक्ता बनना या बनने की स्थिति में होना। जैसे—(क) दुःख या सुख पाना। (ख) छुट्टी या सजा पाना। ९. ईश्वर अथवा देवता के प्रसाद के रूप में कोई खाद्य या पेय पदार्थ ग्रहण या प्राप्त करना। आदर-पूर्वक शिरोधार्य करके कुछ खाना या पीना। (भक्तों की परिभाषा) जैसे—मैं उनके यहाँ से भोजन पाकर आया हूँ। १॰. कोई काम या बात ठीक तरह से पूरी करने में समर्थ होना। कर सकना। जैसे—तुम उसे नहीं जीत पाओगे। ११. प्रतियोगिता आदि में किसी के तुल्य या समान हो सकना। जैसे—बराबरी कर सकना। जैसे—चालाकी (या दौड़) में तुम उसे नहीं पाओगे। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पानागार :
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पुं० [सं० पान-आगार, ष० त०] वह स्थान जहाँ बहुत से लोग मिलकर शराब पीते हों। शराब पीने की जगह। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पानात्यय :
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पुं० [सं० पान-अत्यय, तृ० त०] पान-विभ्रम। (दे०) |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पाना :
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स० [सं० प्रायण, प्रा० पायण, पुं० हिं० पावना] १. ऐसी स्थिति में आना या होना कि कोई चीज अपने अधिकार, वश या हाथ में आवे या हो जाय। कोई चीज या बात प्राप्त करना। हासिल करना। जैसे—(क) तुमने ईश्वर के घर से अच्छा भाग्य पाया है। (ख) उन्होंने अपने पूर्वजों से अच्छी सम्पत्ति पाई थी। २. ऐसी स्थिति में आना या होना कि किसी की दी या भेजी हुई चीज या और कुछ अपने तक पहुँच या मिल जाय। जैसे—(क) किसी का पत्र, संदेशा या समाचार पाना। (ख) पदक या पुरस्कार पाना। ३. आकस्मिक रूप से या अपने प्रयत्न के फलस्वरूप कुछ प्राप्त या हस्तगत करना। जैसे—(क) कल मैंने सड़क पर पड़ा हुआ एक बटुआ पाया था। (ख) यह पुस्तक मैंने बहुत कठिनता से पायी थी। ४. ऐसी स्थिति में आना या होना कि किसी चीज तक हाथ पहुँच सके। उदा०—मैं बालक बहिंयन को छोटो छींका केहि बिधि पायो।—सूर। ५. किसी प्रकार के ज्ञान, परिचय आदि की मानसिक उपलब्धि करना। जैसे—(क) मैंने उन्हें बहुत ही चतुर और योग्य पाया। (ख) विदेश में रहकर उन्होंने अच्छी शिक्षा पाई थी। ६. गूढ़ तत्त्व, भेद, रहस्य आदि की गहनता, विस्तार सीमा आदि का ज्ञान या परिचय प्राप्त करना। जानकारी हासिल करना। जैसे—(क) किसी के पांडित्य की थाह पाना। (ख) चोरी या चोरों का पता पाना। ७. अचानक सामना होने या सामने पहुँचने पर किसी को किसी विशिष्ट स्थिति में देखना। जैसे—(क) मैंने लड़कों को गली में खेलते हुए पाया। (ख) उसने अपना खेत (या घर) उजड़ा हुआ पाया। ८. किसी प्रकार के परिणाम या फल के रूप में अधिकारी या भोक्ता बनना या बनने की स्थिति में होना। जैसे—(क) दुःख या सुख पाना। (ख) छुट्टी या सजा पाना। ९. ईश्वर अथवा देवता के प्रसाद के रूप में कोई खाद्य या पेय पदार्थ ग्रहण या प्राप्त करना। आदर-पूर्वक शिरोधार्य करके कुछ खाना या पीना। (भक्तों की परिभाषा) जैसे—मैं उनके यहाँ से भोजन पाकर आया हूँ। १॰. कोई काम या बात ठीक तरह से पूरी करने में समर्थ होना। कर सकना। जैसे—तुम उसे नहीं जीत पाओगे। ११. प्रतियोगिता आदि में किसी के तुल्य या समान हो सकना। जैसे—बराबरी कर सकना। जैसे—चालाकी (या दौड़) में तुम उसे नहीं पाओगे। |
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पानागार :
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पुं० [सं० पान-आगार, ष० त०] वह स्थान जहाँ बहुत से लोग मिलकर शराब पीते हों। शराब पीने की जगह। |
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पानात्यय :
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पुं० [सं० पान-अत्यय, तृ० त०] पान-विभ्रम। (दे०) |
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