शब्द का अर्थ
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पाम (मन्) :
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पुं० [सं०√पा (पीना)+मनिन्] १. दानेदार चकत्ते या फुंसियाँ। २. खाज। खुजली। स्त्री० [देश०] १. वह डोरी जो गोटे, किनारी आदि बुनने के समय दोनों तरफ बाँधी जाती है। २. डोरी। रस्सी। (लश०) |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पाम :
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पुं० [अं०] ताड़ का पौधा या वृक्ष। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पामघ्नी :
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स्त्री० [सं० पामघ्न+ङीप्] कुटकी। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पामड़ा :
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पुं०=पाँवड़ा।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पामड़ी :
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स्त्री०=पानड़ी।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पामन :
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वि० [सं०√पा+मिनिन्, पामन्+न, नलोप] १. जिसे या जिसमें पामा रोग हुआ हो। २. खल। दुष्ट। पुं०=पामा (रोग)। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पामना :
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स०=पावना (पाना)।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) पुं०=पावना (प्राप्य धन)। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पामर :
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वि० [सं०√पा (रक्षा करना)+क्विप्, पा√मृ (मरना)+घ] १. बहुत बड़ा दुष्ट और नीच। अधम। २. पापी। ३. जिसका जन्म नीच कुल में हुआ हो। ४. निर्बुद्धि। मूर्ख। |
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समानार्थी शब्द-
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पामर-योग :
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पुं० [सं० कर्म० स०] एक प्रकार का निकृष्ट योग। (फलित ज्योतिष) |
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समानार्थी शब्द-
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पामरी :
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स्त्री० [सं० प्रावार] उपरना। दुपट्टा। स्त्री० सं० ‘पामर’ का स्त्री०। स्त्री०=पाँवड़ी।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) स्त्री०=पानड़ी।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पामा :
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पुं० [सं० पामन्+डाप्] १. एक प्रकार का चर्म रोग जिसमें शरीर पर चकत्ते निकल आते हैं और उनमें की छोटी छोटी फुंसियों में से पानी बहता है। (एंग्जिमा) २. खाज या खुजली नामक रोग। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पामारि :
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पुं० [पामा-अरि, ष० त०] गंधक। |
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समानार्थी शब्द-
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पामाल :
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वि० [फा०] [भाव० पामाली] १. पैर से कुचला या पाँव तले रौंदा हुआ। पद-दलित। २. बुरी तरह से तबाह या बरबाद। |
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समानार्थी शब्द-
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पामाली :
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स्त्री० [फा०] १. पामाल होने की अवस्था या भाव। २. तबाही। बरबादी। |
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समानार्थी शब्द-
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पामोज़ :
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पुं० [?] १. एक प्रकार का कबूतर। २. ऐसा घोड़ा जो सवारी के समय सवार की पिंडली को अपने मुँह से पकड़ता हो। |
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पाम (मन्) :
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पुं० [सं०√पा (पीना)+मनिन्] १. दानेदार चकत्ते या फुंसियाँ। २. खाज। खुजली। स्त्री० [देश०] १. वह डोरी जो गोटे, किनारी आदि बुनने के समय दोनों तरफ बाँधी जाती है। २. डोरी। रस्सी। (लश०) |
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पाम :
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पुं० [अं०] ताड़ का पौधा या वृक्ष। |
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पामघ्नी :
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स्त्री० [सं० पामघ्न+ङीप्] कुटकी। |
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पामड़ा :
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पुं०=पाँवड़ा।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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स्त्री०=पानड़ी।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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पामन :
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वि० [सं०√पा+मिनिन्, पामन्+न, नलोप] १. जिसे या जिसमें पामा रोग हुआ हो। २. खल। दुष्ट। पुं०=पामा (रोग)। |
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स०=पावना (पाना)।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) पुं०=पावना (प्राप्य धन)। |
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वि० [सं०√पा (रक्षा करना)+क्विप्, पा√मृ (मरना)+घ] १. बहुत बड़ा दुष्ट और नीच। अधम। २. पापी। ३. जिसका जन्म नीच कुल में हुआ हो। ४. निर्बुद्धि। मूर्ख। |
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पुं० [सं० कर्म० स०] एक प्रकार का निकृष्ट योग। (फलित ज्योतिष) |
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स्त्री० [सं० प्रावार] उपरना। दुपट्टा। स्त्री० सं० ‘पामर’ का स्त्री०। स्त्री०=पाँवड़ी।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) स्त्री०=पानड़ी।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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पामा :
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पुं० [सं० पामन्+डाप्] १. एक प्रकार का चर्म रोग जिसमें शरीर पर चकत्ते निकल आते हैं और उनमें की छोटी छोटी फुंसियों में से पानी बहता है। (एंग्जिमा) २. खाज या खुजली नामक रोग। |
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पुं० [पामा-अरि, ष० त०] गंधक। |
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पामाल :
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वि० [फा०] [भाव० पामाली] १. पैर से कुचला या पाँव तले रौंदा हुआ। पद-दलित। २. बुरी तरह से तबाह या बरबाद। |
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पामाली :
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स्त्री० [फा०] १. पामाल होने की अवस्था या भाव। २. तबाही। बरबादी। |
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पामोज़ :
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पुं० [?] १. एक प्रकार का कबूतर। २. ऐसा घोड़ा जो सवारी के समय सवार की पिंडली को अपने मुँह से पकड़ता हो। |
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