शब्द का अर्थ
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पुण्या :
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स्त्री० [सं० पुण्य+टाप्] १. तुलसी। २. पुनपुना नदी। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पुण्याई :
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स्त्री० [हिं० पुण्य+आई (प्रत्य०)] पुण्य का परिणाम, प्रभाव या फल। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पुण्यात्मा (त्मन्) :
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वि० [पुण्य-आत्मन्, ब० स०] प्रायः पुण्यकर्म करनेवाला। पुण्यशील। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पुण्यार्थ :
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वि० [पुण्य-अर्थ, ब० स०] १. (कार्य) जो पुण्य की प्राप्ति के विचार से किया गया हो। २. (धन) जो लोकोपकारी कार्यों के लिए दान रूप में दिया गया हो। (चैरिटेबुल) अव्य० पुण्य अर्थात् परोपकार या शुभ फल की प्राप्ति के विचार से। पुं० १. लोकोपकार की भावना। २. लोकोपकार की भावना से दिया जानेवाला धन। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पुण्यार्थ-निधि :
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स्त्री० [कर्म० स०] वह निधि या धन-संपत्ति जो पक्की-लिखा पढ़ी करके किसी धार्मिक या सामाजिक लोकोपकारी शुभ कार्य के लिए दान की गई हो। (चैरिटेबुल एन्डाउमेन्ट) |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पुण्याह :
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पुं० [पुण्य-अहस्, ब० स०] मंगल कारक या शुभ दिन। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पुण्याह-वाचन :
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पुं० [ष० त०] १. मांगलिक कार्य के अनुष्ठान के पहले मंगल की कामना से तीन बार ‘पुण्याह’ शब्द कहना। २. कर्म-कांड में उक्त से सम्बद्ध एक प्रकार का कृत्य जो विवाह आदि शुभ कार्यों से पहले किया जाता है। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पुण्या :
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स्त्री० [सं० पुण्य+टाप्] १. तुलसी। २. पुनपुना नदी। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पुण्याई :
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स्त्री० [हिं० पुण्य+आई (प्रत्य०)] पुण्य का परिणाम, प्रभाव या फल। |
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पुण्यात्मा (त्मन्) :
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वि० [पुण्य-आत्मन्, ब० स०] प्रायः पुण्यकर्म करनेवाला। पुण्यशील। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पुण्यार्थ :
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वि० [पुण्य-अर्थ, ब० स०] १. (कार्य) जो पुण्य की प्राप्ति के विचार से किया गया हो। २. (धन) जो लोकोपकारी कार्यों के लिए दान रूप में दिया गया हो। (चैरिटेबुल) अव्य० पुण्य अर्थात् परोपकार या शुभ फल की प्राप्ति के विचार से। पुं० १. लोकोपकार की भावना। २. लोकोपकार की भावना से दिया जानेवाला धन। |
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समानार्थी शब्द-
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पुण्यार्थ-निधि :
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स्त्री० [कर्म० स०] वह निधि या धन-संपत्ति जो पक्की-लिखा पढ़ी करके किसी धार्मिक या सामाजिक लोकोपकारी शुभ कार्य के लिए दान की गई हो। (चैरिटेबुल एन्डाउमेन्ट) |
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समानार्थी शब्द-
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पुण्याह :
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पुं० [पुण्य-अहस्, ब० स०] मंगल कारक या शुभ दिन। |
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समानार्थी शब्द-
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पुण्याह-वाचन :
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पुं० [ष० त०] १. मांगलिक कार्य के अनुष्ठान के पहले मंगल की कामना से तीन बार ‘पुण्याह’ शब्द कहना। २. कर्म-कांड में उक्त से सम्बद्ध एक प्रकार का कृत्य जो विवाह आदि शुभ कार्यों से पहले किया जाता है। |
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समानार्थी शब्द-
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