शब्द का अर्थ
|
पुनरुक्त :
|
वि० [सं० पुनर-उक्त, मध्य० स०] एक बार कहने के उपरान्त दोबारा या फिर से कहा हुआ। पुं० साहित्य में एक प्रकार का दोष जो उस दशा में माना जाता है जब कोई बात एक बार कही जाने पर फिर से दोबारा या कई बार व्यर्थ ही कही जाती है। |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पुनरुक्तवद-भास :
|
पुं० [सं० पुनरुक्त+वति, पुनरुक्तवत-आ+ भास, ब० स०] एक प्रकार का शब्दालंकार जिसमें ऐसे शब्दों का प्रयोग होता है जो सुनने में एकार्थक और फलतः पुनरुक्त से जान पड़ें पर वास्तव में प्रसंगतः भिन्न-भिन्न अर्थ रखते हैं। |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पुनरुक्ति :
|
स्त्री० [सं० पुनर-उक्ति, मध्य० स०] १. एक बार कही हुई बात शब्द आदि को फिर कहना। २. इस प्रकार दोबारा कही हुई बात। (रिपीटीशन) |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पुनरुक्त :
|
वि० [सं० पुनर-उक्त, मध्य० स०] एक बार कहने के उपरान्त दोबारा या फिर से कहा हुआ। पुं० साहित्य में एक प्रकार का दोष जो उस दशा में माना जाता है जब कोई बात एक बार कही जाने पर फिर से दोबारा या कई बार व्यर्थ ही कही जाती है। |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पुनरुक्तवद-भास :
|
पुं० [सं० पुनरुक्त+वति, पुनरुक्तवत-आ+ भास, ब० स०] एक प्रकार का शब्दालंकार जिसमें ऐसे शब्दों का प्रयोग होता है जो सुनने में एकार्थक और फलतः पुनरुक्त से जान पड़ें पर वास्तव में प्रसंगतः भिन्न-भिन्न अर्थ रखते हैं। |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पुनरुक्ति :
|
स्त्री० [सं० पुनर-उक्ति, मध्य० स०] १. एक बार कही हुई बात शब्द आदि को फिर कहना। २. इस प्रकार दोबारा कही हुई बात। (रिपीटीशन) |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |