शब्द का अर्थ
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भुजा :
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स्त्री० [सं० भुज+टाप्] बाँह। बाहु। मुहा०—भुजा उठा या टेककर (कहना)=प्रण अथवा प्रतिज्ञा करते हुए (कहना)। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
भुजा-कंट :
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पुं० [ष० त०] हाथ की उँगली का नाखून। |
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भुजाग्र :
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पुं० [सं० भुजा-अग्र, ष० त०] हाथ। |
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भुजा-दल :
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पुं० [ष० त०] कर रूपी पल्लव। |
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भुजाना :
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स०=भुनाना। (यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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भुजा-मध्य :
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पुं० [ष० त०] कोहनी। |
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भुजा-मूल :
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पुं० [ष० त०] कंधे का वह अगला भाग जहाँ से हाथ आरंभ होता है। बाहु-मूल। |
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भुजायन :
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पुं० [सं०] १. भुजाओं के रूप में अपने कुछ अंग शरीर के बाहर निकालना। २. दे० ‘विकिरण’। |
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भुजाली :
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स्त्री० [हिं० भुज+आली (प्रत्य०)] १. एक प्रकार की बड़ी टेढ़ी छुरी। २. छोटी बरछी। |
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