शब्द का अर्थ
|
रहस् :
|
पुं० [सं०√रम् (क्रीड़ा)+असुन्, ह-आदेश] १. गुप्त भेद। छिपी बात। २. गूढ़ तत्व या रहस्य। ३. क्रीड़ा। खेल। ४. आनन्द। सुख। ५. एकांत स्थान। |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
रहस्य :
|
पुं० [सं० रहस्+यत्] १. वह बात जो सबको बतलाई न जा सकती हो, कुछ विशिष्ट लोग ही जिसे जानने के अधिकारी माने या समझे जाते हों। गुप्त या भेद की बात। २. किसी चीज या बात के अन्दर छिपा हुआ वह तत्त्व या बात जिसका पता ऊपर से यों ही देखने पर न चलता हो, और फलतः जिसे जानने या समझने के लिए कुछ विशिष्ट पात्रता, बुद्धि-योग्यता आदि की आवश्यकता होती हो। भेद। मर्म। राज। ३. किसी प्रकार या किसी रूप में अन्दर छिपी हुई बात। भेद (सीक्रेट)। क्रि० प्र०—खुलना।—खोलना। ४. आध्यात्मिक क्षेत्र में ईश्वर और उसकी सृष्टि के संबंध के वे गुप्त तत्त्व या भेद जो सब लोग नहीं जानते या नहीं जान सकते और जिनकी अनुभूति केवल सात्विक वृत्तिवाले लोगों के अंतःकरण में ही होती है। पद—रहस्यवाद (देखें)। ५. ऐसा तत्त्व जो केवल दीक्षा के द्वारा अधिकारियों या पात्रों को ही बतलाया जाता हो। ६. एक उपनिषद् का नाम। ७. हँसी-ठट्टा। परिहास। मजाक। वि० १. तत्त्व या विषय) जो सबको ज्ञात न हो अथवा बतलाया न जा सके। २. (कार्य) जो औरों से छिपाकर किया जाय। |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
रहस्य-क्रीड़ :
|
पुं० =रहस्य-क्रीड़ा। |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
रहस्य-क्रीड़ा :
|
स्त्री० [सं० कर्म० स०] एकांत में दूसरों की दृष्टि से दूर रहकर की जानेवाली क्रीड़ा। जैसे—नायक और नायिका की। |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
रहस्यवाद :
|
पुं० [सं० ष० त०] [वि० रहस्यवादी] रहस्य (देखें) अर्थात् ईश्वर तथा सृष्टि के परम तत्त्व या सत्य पर आश्रित और सात्त्विक आत्मानुभूति से संबंध रखनेवाला एक वाद या सिद्धान्त (छायावाद से भिन्न) जो आध्यात्मिक तथा साहित्यिक क्षेत्रों में, परमात्मा के प्रति होनेवाले जीवात्मा के अनुराग या प्रेम के द्योतक का सूचक है। (मिस्टिसिज्म)। विशेष—प्रायः सभी कालों, जातियों और देशों में सात्त्विक वृत्तियोंवाले कुछ ऐसे लोग होते आये है, जो अपने समाज में प्रचलित धार्मिक सिद्धान्त नहीं मानते, और उनसे ऊपर उठकर उसी को आध्यात्मिक सत्य मानकर ईश्वर की उपासना करते हैं जो उनके अंतःकरण से स्फुरित होता है। ऐसे लोग प्रायः संसार से विमुख तथा विरक्त होकर जिस प्रकार अथवा जिस सिद्धान्त के आश्रित होकर परम सत्य का प्रत्यक्ष साक्षात्कार करते और लोक में उसका अभिव्यंजन करते हैं, वही साहित्य में रहस्यवाद कहलाता है। इसके मूल में मनुष्य की वह जिज्ञासा है जो उसके मन में सृष्टि उत्पन्न करनेवाली अलौकिक या लोकोत्तर शक्ति के प्रति उत्पन्न होती है और जिसके साथ वह तादात्म्य स्थापित करना चाहता है। |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
रहस्यवादी (दिन्) :
|
वि० [सं० रहस्यवाद+इनि] रहस्यवाद संबंधी। रहस्यवाद का। पुं० वह जो रहस्यवाद के तत्त्व समझता अथवा उनके सिद्धान्तों का अनुकरण करता हो। रहस्यवाद का अनुयायी। |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
रहस्य-सचिव :
|
पुं० =मर्म सचिव। (देखें) |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
रहस्या :
|
स्त्री० [सं० रहस्य+टाप्] १. एक प्राचीन नदी। (महा०) २. रासना। ३. पाठा। |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |