शब्द का अर्थ
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विखंड :
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वि० [सं०] १. टुकड़े-टुकड़े किया हुआ। २. बहुत छोटे खंडों या टुकड़ों में परिवर्तित। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
विखंड राशि :
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पुं० [सं०] भूगोल में चट्टानों की सतह पर से टूट-फूटकर गिरे हुए कंकड़ों का समूह। मलवा (डेट्रिलस)। |
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विखंडित :
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भू० कृ०=खंडित। |
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विखंडी (डिन्) :
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वि० [सं० वि√खंड् (टुकड़ा करना)+णिनि, दीर्घ, न-लोप] तोड़ने-फोड़ने या नष्ट करनेवाला। |
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विख :
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वि० [सं० वि० नासिका, ब० स] नासिका खादेश। जिसकी एक कटी हुई हो या न हो। पुं०=विष। (जहर)।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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विखनस :
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पुं० [सं०] १. ब्रह्म २. एक प्राचीन ऋषि। |
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विखाद :
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पुं०=विषाद।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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समानार्थी शब्द-
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विखादितक :
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पुं० [सं० वि√खद् (खाना)+णिच्+क्त+कन्] ऐसा मृत शरीर जिसका बहुत सा अंश पशुओं ने खा डाला हो। |
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विखान :
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पुं०=विषाण (सींग)।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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समानार्थी शब्द-
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विखानस :
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पुं०=वैखानस। |
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समानार्थी शब्द-
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विखायँध :
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स्त्री०=बिसायँध। |
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विखुर :
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पुं० [सं० वि√खर (काटना)+अच्] १. राक्षस। २. चोर। वि० जिसके खुर न हों। खुरों से रहित। |
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विख्यात :
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भू० कृ० [सं० वि√ख्या (प्रसिद्धि होना)+क्त] [भाव० विख्याति] प्रसिद्धि। मशहूर। जिसकी ख्याति चारों ओर हो। |
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विख्याति :
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स्त्री० [सं० वि√ख्या (ख्याति)+क्तिच्] विख्यात होने की अवस्था या भाव। प्रसिद्ध। शोहरत। |
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विख्यापन :
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पुं० [सं० वि√ख्या+णिच्+ल्युट-अन] १. प्रसिद्ध करना। मशहूर करना। २. सार्व-जनिक रूप से घोषणा करना। |
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विख्यापित :
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भू० कृ० [सं०] जिसका विख्यापन हुआ हो। |
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