शब्द का अर्थ
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सकुच :
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स्त्री०—संकोच।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
सकुचाई :
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स्त्री० [सं० संकोच, हिं० सकुच+आई (प्रत्य०)] १. सकुचित होने की क्रिया या भाव। २. संकोच।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
सकुचाना :
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अ० [सं० संकोच, हिं० सकुच+आना (प्रत्य०)] १. संकोच करना। लज्जा करना। शरमाना। २. फूलों आदि का संपुचित या बंद होना। ३. सिकुड़ना। स-[हिं० सकुचाना का प्रे०] किसी को संकोच करने मे प्रवृत्त करना। लज्जित करना। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
सकुची :
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स्त्री० [सं० शकुल मत्स्य] एक प्रकार की मछली जो साधारण मछलियों से भिन्न और प्रायः कछुए की आकार की होती है। इसके चार छोटे-छोटे पैर होते हैं। और एक लंबी पूँछ होती है। इसी पूँछ से यह शत्रु पर आघात करती है। जहाँ पर इसकी चोट लगती है, वहाँ घाव हो जाता है, और चमड़ा सड़ने लगता है। यह स्थल में भी रह सकती है। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
सकुचीला :
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वि० [हि० सकुच+ईला (प्रत्य०)] [स्त्री० सकुचीली] जिसे अधिक और प्रायः संकोच होता हो। संकोच करने वाला। शरमीला। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
सकुचीली :
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वि० [हिं० सकुचीला] लजवंती। लज्जावती लता। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
सकुचौहाँ :
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वि० [सं० संकोच+हिं० औहाँ (प्रत्य०)] [स्त्री० सकुचौहीं] अधिक और प्रायः संकोच करने वाला। लजीला। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |