शब्द का अर्थ
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सितार :
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पुं० [फा० सेहतर] १. बीन की तरह का, पर उससे प्रसिद्ध एक छोटा सा बाजा, जिसके तारों को तर्जनी में पहनी हुई मिराब से झनकारते हैं तथा इस प्रकार राग-रागनियाँ निकालतें हैं। २. उक्त वाद्य की ध्वनि या उससे निकलने वाला स्वर-क्रम। |
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सितारबाज :
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पुं० [फा० सेहतारबाज] [भाव सितारबाजी] १. वह जो सितार बजाकर अपनी जीविका अर्जित करता हो। सितारिया। २. सितार बजाने का शौकीन। सितार बजाने की कला में पारंगत। |
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सितारा :
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पुं० [सं० सप्त तारक से फा० विस्तारः] आकाश का तारा या नक्षत्र। २. मनुष्य का भाग जो आकाश के ग्रहो और नक्षत्रों से प्रभावित माना जाता है। मुहा—सितारा चमकना=भाग्योदय होना। सितारा बुलंद होना=सितारा चमकना। सितारा मिलना=ग्रह मैत्री मिलना। गणना बैठना। (फलित ज्योतिष] ३. रुपहले या सुनहले पत्तरों के छोटे गोलाकार टुकड़े जो कपड़ों आदि की शोभा के लिये टाँके जाते या गाल और माथे पर सौंन्दर्य़ बढ़ने के लिये चिपकाये जाते हैं। चमकीला। पुं० [हिं० सितार] सितार नामक ऐसा बाजा जो अपेक्षया अधिक बड़ा हो।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) |
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सितार-पेशानी :
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वि० [फा०] (घोड़ा) जिनके माथे पर सफेद टीका या बिन्दी हो (ऐसा घोड़ा बहुत ऐबि समझा जाता है) |
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सितारिया :
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पुं० [हिं० सितार+इया (प्रत्य०)] वह जो सितार बजाकर अपनी जीविका अर्जित करता हो। वि० दे० ‘सितारबाज’। |
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सितारी :
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स्त्री० [हि० सितार+ई (प्रत्य०)] छोटी सितार (बाजा)। वि० सितार संबंधी। |
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सितारे-हिंद :
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पुं० [फा० सितार हिन्द] एक प्रकार की उपाधि जो ब्रिटिश शासन काल में बड़े लोगों को सम्मानार्थ दी जाती थी। जैसे—राजा शिव प्रसाद सितारे हिन्द। |
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