शब्द का अर्थ
|
सुभांजन :
|
पुं०=शोभांजन (सहिजन)। |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
सुभा :
|
स्त्री०=शोभा।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) स्त्री०=सुबह।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
सुभाइ :
|
पुं०=स्वभाव।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) अव्य०=सुभाएँ। |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
सुभाउ :
|
पुं०=स्वभाव।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
सुभाएँ :
|
अव्य० [सं० स्वभावतः] स्वभाव से ही। स्वभावतः। अव्य० [सं० सद्-भावतः] अच्छे भाव या विचार से। सहज भाव से। |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
सुभाग :
|
वि० [सं०] भाग्यवान्। खुशकिस्मत। पुं०=सौभाग्य।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
सुभागी :
|
वि० [सं० सुभाग] भाग्यवान्। भाग्यशाली। खुशकिस्मत। वि० [हिं० सुभाग] [स्त्री० सुभागिनी] भाग्यवान्। सौभाग्यशाली। |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
सुभाग्य :
|
वि० [सं०] अत्यन्त भाग्यशाली। बहुत बड़ा भाग्यवान्। पुं०=सौभाग्य। |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
सुभान :
|
पुं० दे०=‘सुबहान’। |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
सुभान-अल्ला :
|
अव्य० दे० ‘सुबहान-अल्ला’। |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
सुभाना :
|
अ० [हिं० शोभना] १. शोभित होना। देखने में भला जान पड़ना। फबना।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
सुभानु :
|
पुं० [सं०] १. चतुर्थ हुतास नामक युग के दूसरे वर्ष का नाम। २. कृष्ण का एक पुत्र। वि० बहुत अधिक प्रकाशमान्। |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
सुभाय :
|
पुं०=स्वभाव।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
सुभायक :
|
वि० [सं० स्वाभाविक] जो स्वभाव से ही होता हो।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
सुभाव :
|
पुं०=स्वभाव।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
सुभावित :
|
भू० कृ० [सं०] १. अच्छी तरह सोचा-विचारा हुआ। २. (औषध) जिसकी अच्छी तरह भावना की गई हो। अच्छी तरह तैयार किया हुआ। |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
सुभाषण :
|
पुं० [सं०] [भू० कृ० सुभाषित] सुन्दर भाषण। |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
सुभाषिणी :
|
वि० [सं०] सं० ‘सुभाषी’ का स्त्री०। स्त्री० संगीत में कर्नाटकी पद्धति की एक रागिनी। |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
सुभाषित :
|
भू० कृ० [सं०] अच्छे ढंग से कहा हुआ (कथन आदि)। पुं० १. वह उक्ति या कथन जो बहुत अच्छा या सुन्दर हो। सूक्ति। २. कोई ऐसी विलक्षण और सुन्दर बात जिससे हास्य भी उत्पन्न हो। चोज। (विट) ३. एक बुद्ध का नाम। |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
सुभाषी (षिन्) :
|
वि० [सं०] १. अच्छी तरह से बोलनेवाला। २. प्रिय और मधुर बातें करनेवाला। |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
सुभास :
|
वि० [सं०] बहुत प्रकाशवान्। खूब चमकीला। |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
सुभास्वर :
|
वि० [सं०] खुब चमकनेवाला। दीप्तिमान्। पुं० पितरों का एक गण या वर्ग। |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |