शब्द का अर्थ
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सेर :
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पुं० [?] १. एक मान या तौल, जो सोलह छटाँक या अस्सी तोले की होती है। मन का चालीसवाँ भाग। मुहा०–सेर का सवा सेर मिलना=किसी अच्छे या जबरदस्त का उससे भी बढ़कर अच्छे या जबरदस्त से मुकाबला या सामना होना। २. पानी की १॰६ ढोलियों का समूह। (तमोली)। पुं० (देश०) एक प्रकार का धान, जो अगहन महीने मे तैयार हो जाता है और जिसका चावल बुहत दिनों तक रह सकता है। स्त्री० [देश०] एक प्रकार की मछली। वि० [फा०] जिसका पेट या मन भर गया हो। तृप्त। पुं०=शेर।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
सेरन :
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स्त्री० [देश०] पहाड़ी देशों में होनेवाली एक प्रकार की घास। |
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समानार्थी शब्द-
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सेरवा :
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पुं० [सं० शट ?] वह कपड़ा, जिससे हवा करके अन्न बरसाते समय भूसा उडाया जाता है। झूली। पुं० [हिं० सिर] चारपाई या बिस्तर का सिरहाना।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) पुं० [हिं० सेराना=ठंडा करना, शांत करना] दीवाली के प्रातः काल ‘दरिद्दर’ (दरिद्रता) भगाने की रस्म, जो सूप बजाकर की जाती है। |
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सेरही :
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स्त्री० [हिं० सेर] एक प्रकार का कर या लगान, जो किसान को फसल की उपज के अपने हिस्से पर देना पड़ता था। |
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सेरा :
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पुं० [हिं० सेर] चारपाई की वह पाटी, जो सिरहाने की ओर रहती है। पुं० [फा० सेराब] आबपाशी की हुई जमीन। पुं० =सेढ़।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) |
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सेराना :
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अ०, स०=सिराना।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) |
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सेराब :
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वि० [फा०] [भाव० सेराबी] १. पानी से तर किया या भरा हुआ। सींचा हुआ। |
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सेराबी :
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स्त्री० [फा०] सेराब करने की क्रिया या भाव। |
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सेराह :
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पुं० [सं०] दूध की तरह सफेद रंगवाला घोड़ा। |
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सेरी :
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स्त्री० [फा०] सेर होने अर्थात अच्छी तरह तृप्त और संतुष्ट होने की अवस्था, क्रिया या भाव। तृप्त। स्त्री० [सं० श्रेणी] लंबी पतली गली। (राज०) स्त्री० [हिं० सेर] सेर भर का बटखरा या बाट। (पश्चिम) |
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सेरीना :
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स्त्री० [हिं० सेर] अनाज या चारे का वह हिस्सा जो असामी जमींदार के देता था। |
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सेरुआ :
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पुं० [?] १. वैश्य। (सुनार)। २. वेश्याओं की परिभाषा में वह व्यक्ति, जो मुजरा सुनने आया हो। पुं०=सेरवा।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) |
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सेरू :
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पुं० [सं० सेलु] लिसोड़े का पेड़। लभेड़ा।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) पुं० [हिं० सिर] चारपाई में सिरहाने और पैताने की ओर की लकड़ियाँ। (पश्चिम)(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है)(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) |
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