शब्द का अर्थ
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सेवक :
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वि० [सं०] [स्त्री० सेविका] किस की सेवा या खिदमत करनेवाला जैसे–देश—सेवक, समाज-सेवक। पुं० [स्त्री० सेविका, सेवकिन, सेवकी] १. वह जो किसी की सेवा करने के काम पर नियुक्त हो। नौकर। २. वह जो किसी की छोटी—मोटी सेवाएँ या टहल करने के काम पर नियुक्त हो।चाकर। परिचारक। ३. वह जो किसी देवता या विशिष्ट रूप से अराधक, उपासक या पूजक हो। देवता का भक्त। ४. वह जो किसी वस्तु का सेवन अर्थात उपभोग या व्यवहार करता हो। जैसे–मद्य सेवक। ५. वह जो धार्मिक दृष्टि से किसी विशिष्ट पवित्र स्थान में नियमित या स्थायी रूप से रहता हो। जैसे–तीर्थ—सेवक। ६. सिलाई का काम करनेवाला व्यक्ति। दरजी। ७. अनाज आदि रखने का बोरा। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
सेवकाई :
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स्त्री० [सं० सेवक+हिं० आई (प्रत्य०)] १. ब्रह्यणों साधु—महात्माओं की दृष्टि से, अनेक सेवकों, शिष्यों, यजमानों आदि का वर्ग या समूह। २. सेवा। टहल। उदा०–इहै हमार बड़ी सेवकाई।–तुलसी।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
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