शब्द का अर्थ
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सोच :
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स्त्री० [हिं० सोचना] १. सोचने की क्रिया या भाव। २. यह बात जिसके संबंध में कोई बराबर सोचता रहता हो। ३. चिंता। फिक्र। ४. दुख। रंज। ५. पछतावा। पश्चाताप। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
सोचक :
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पुं० [सं० सौचिक] दरजी। (डिं०) |
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समानार्थी शब्द-
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सोचना :
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अ० [सं० शोचन] १. किसी विषय पर मन में विचार करना। जैसे–ठीक है, हम सोचेगें। २. विशेषतः किसी कार्य, परिणाम या प्रणाली के विषय मे विचार करना। जैसे–वह सोच रहा था कि आगे पढूँ या नौकरी करूँ। ३. चिंता या फिक्र में पड़ना। जैसे–वह अपनी बूढ़ी माँ के बारे में सोचता रहता है। स० कल्पना करना। अनुमान करना। जैसे–उसने एक युक्ति सोची है। |
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सोच-विचार :
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पुं० [हिं० सोच+सं० विचार] सोचने और समझने या विचार करने की क्रिया या भाव। |
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सोचाई :
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स्त्री० [हिं० सोचना] सोचने की क्रिया या भाव।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) |
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सोचाना :
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स०=सुचाना।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) |
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सोचु :
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पुं० सोच।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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सोच्छ्रास :
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वि० [सं०] १. उच्छ्वास—युक्त। २. हाँफता हुआ। अव्य० गहरा साँस लेते हुए। |
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